Sultanpur Uttar Pradesh India

Sultanpur, 228001
Sultanpur Uttar Pradesh India Sultanpur Uttar Pradesh India is one of the popular Region located in ,Sultanpur listed under City in Sultanpur , Region in Sultanpur , City Hall in Sultanpur ,

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ऐतिहासिक दृष्टि से जनपद सुल्तानपुर का अतीत अत्यंत गौरवशाली और महिमामंडित रहा है । पुरातात्विक, ऐतिहासिक , सांस्कृतिक , भौगोलिक तथा औध्योगिक दृष्टि से सुल्तानपुर का अपना विशिष्ट स्थान है । महर्षि बाल्मीकी ,दुर्वासा वशिष्ठ आदि ऋषि मुनियो की तपोस्थली का गौरव इसी जिले को प्राप्त है ।परिवर्तन के शाश्वत नियम के अनेक झंझवातों के बावजूत इसका अस्तित्व अक्षुण्य् रहा है । अयोध्या और प्रयाग के मध्य गोमती नदी के दाये बाये हाथ की तरह सई और तमसा के बीच कभी यह भूभाग कभी दुर्गम बना था । गोमती के किनारे का यह क्षेत्र कुश काश के लिए प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध है , कुश काश से बनने वाले बाध की प्रसिद्ध मंडी यही पर है । प्राचीन काल मे सुल्तानपुर का नाम कुशभवनपुर था जो कालांतर मे बदलते बदलते सुल्तानपुर हो गया । मोहम्म्द गोरी के आक्रमण के पूर्व यह राजभरो के अधिपत्य मे था , जिनके जनपद मे तीन राज्य इसौली , कुलपुर व दादर थे ,आज भी उनके किलो मे भग्न अवशेष विद्यमान है , जो तत्कालीन गौरव व समृद्धि को मुखरित करते है जनश्रुति के अनुसार कुड्वार राज्य के पश्चिम मे स्थित आज का गढ़ा ग्राम , बौद्ध धर्म ग्रंथो मे वर्णित दस गणराज्यो मे एक था , यहा के राजा कलामबंशी क्षत्रिय थे । इसका प्राचीन नाम केशीपुत्र था जिसका अस्तित्व ईसा की तेरहवी शताब्दी तक कायम था।

राष्ट्रीय चेतना के विकास मे सुल्तानपुर का ऐतिहासिक योगदान रहा है । सन 1857 के स्वाधीनता संग्राम मे क्रांतकारियों ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद को उखाड़ कर फेकने मे जान की बाजी लगाकर अंग्रेज़ो से मोर्चे लिए । सन 1921 के किसान आंदोलन मे यह जनपद खुलकर भाग लेता रहा है और सन 1930 से 1942 तक एवं बाद के सभी आंदोलनो मे यहा के स्वतंत्रा सेनानियो ने जिस शौर्य एवं वीरता का परिचय दिया ,वो ऐतिहासिक है । किसान नेता बाबा राम चंद्र और बाबा राम लाल इस संदर्भ मे उल्लेखनीय है , जिनके त्याग का वर्णन प. जवाहर लाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा मे किया है ।
भौगोलिक परिचय

जनपद सुल्तानपुर की उत्तरी सीमा पर फ़ैज़ाबाद एवं अम्बेडकरनगर , उत्तर पश्चिम मे बाराबंकी , पूरब मे जौनपुर व आजमगढ़ , पश्चिम मे अमेठी व दक्षिण मे जिला प्रतापगढ़ स्थित है । जनपद मे बहनेवाली नदी गोमती नदी प्रकृतिक दृष्टि से जनपद को दो भागो मे बाटती है । गोमती नदी उत्तर पश्चिम के समीप इस जिले मे प्रवेश करती है और टेठी मेढ़ी बहती हुई दक्षिण पूर्व द्वारिका के निकट जौनपुर मे प्रवेश करती है । इसके अतरिक्त यहा गभड़िया नाला , मझुई नाला , जमुरया नाला , तथा भट गाव ककरहवा , सोभा महोना आदि झीले है ।जनपद की भूमि मुख्य रूप से मटियार है । प्रशासनिक दृष्टि से जनपद सुल्तानपुर चार तहसील - सदर , जयसिंहपुर , कादीपुर और लंभुवा है व 14 विकास खंड - अखंड नगर , दोस्तपुर , करौदी कला , कादीपुर , मोतिगरपुर , जयसिंहपुर , कुरेभार , प्रतापपुर कमैचा , लंभुवा , भदैया , दूबेपुर , धनपतगंज , कुड़वार व बल्दीराय है ।

धार्मिक , पर्यटन व दर्शनीय स्थल

विजेथुवा महावीरन - जिले की कादीपुर तहसील मे विजेथुवा महावीरन के नाम से प्रसिद्ध एक दर्शनीय स्थल है , जहा हनुमान जी का भव्य मंदिर है व प्रत्येक मंगलवार व श्रावण मास मे मेला लगता है यहा मकरी कुंड भी है ।

धोपाप -

जनपद के लम्भुआ विकास खंड मे धोपाप के नाम से प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है । प्रतिवर्ष रामनवमी एवं ज्येष्ट शुक्ल दसमी को असंख्य धर्मपरायण लोग यहा स्नान करते है । लोगो का मानना है यहा स्नान करने से मुक्ति मिलती है ।
सीताकुंड-

यह सुल्तानपुर शहर मे गोमती नदी के तक पर स्थित है । चैत रामनवमी , माध अमावस्या व कार्तिक पुर्णिमा को अत्यधिक संख्या मे इस स्थान पर लोग गोमती नदी मे स्नान करने आते है । उपलब्ध अभिलेखो के अनुसार वनवास जाते समय भगवती सीता ने भगवान श्री राम के साथ यहा स्नान किया था । लोहरामऊ-

यह सुल्तानपुर मे स्थित एक प्रसिद्ध पूजनीय स्थल है ,यहा श्री दुर्गा माँ का प्रसिद्ध मंदिर है । यहा शिवरात्रि व सावन के मेले मे बहुत बड़ा मेला लगता है । पारिजात वृक्ष -

सुल्तानपुर शहर के गोमती नदी के तट पर उघौग विभाग के परिसर मे यह वृक्ष उपस्थित है ।

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