*****श्री हंस आयुर्वेद भवन******
न त्वहं कामये राज्यं न स्वर्ग न पुनर्भवम्।
कामये दुःखतप्तानां प्राणिनामार्तिनाशनम्।।
इसी उद्देश्य को लक्ष्य मानते हुए श्री हंस आयुर्वेद भवन की स्थापना की गई है। वानस्पतिक-चिकित्सा के चार विशेष गुण निम्नलिखित है-
1. प्रकृति स्वास्थ्यप्रद शक्ति का मूर्तिमान स्वरूप वनस्पति है जिसका प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।
2. यह रोगों को जड़-सहित नष्ट करने की पूर्ण क्षमता रखती है।
3. इसमें कृत्रिम-रूप से बनाई गयी रासायनिक औषधियों के समान कोई दुष्प्रभाव नहीं होते।
4. इसका प्रभाव यद्यपि धीरे-धीरे होता है परन्तु वह एक समान एवं जीवन- पर्यन्त रहता है जिससे कि मानव में रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी सदैव बनी रहती है।
श्री हंस आयुर्वेद भवन के योग विशिष्ट वनस्पतियों से तैयार किये जाते हैं। हमारा सदा ही प्रयत्न रहेगा कि प्रभावी औषधियों को प्राणी मात्र के कल्याण के लिये प्रस्तुत करते रहें। भोग और योग दोनों के लिये आरोग्यता आवश्यक है और आरोग्यता के लिये योग व शुद्ध औषधियों का होना नितान्त आवश्यक है।
श्री हंस आयुर्वेद भवन