पट्टी प्रतापगढ़...........
प्रतापगढ उत्तर प्रदेश का 70 वां जिले के रूप में
जाना जाता है प्रतापगढ़, इसे लोग बेल्हा भी कहते
हैं, क्योंकि यहां बेल्हा देवी मंदिर है जो कि सई
नहीं के किनारे बना है। इस जिले को ऐतिहासिक
दृष्टिकोण से काफी अहम माना जाता है। यहां के
विधानसभा क्षेत्र पट्टी से ही देश के प्रथम
प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने पदयात्रा के
माध्यम से अपना राजनैतिक करियर शुरू किया था।
इस धरती को राष्ट्रीय कवि हरिवंश राय बच्चन
की जन्म -स्थली के नाम से भी जाना जाता है।
आंवले के लिए पूरे देश में मशहूर प्रतापगढ़ के
विधानसभा क्षेत्रों के नाम हैं रानीगंज, कुंडा,
विश्वनाथगंज, पट्टी, वीरापुर, गढ़वारा, सदर,
बाबागंज, बिहार, प्रतापगढ़ और रामपुर खास है।
प्रतापगढ़ की राजनीति में यहाँ के तीन मुख्य
राजघरानों का नाम हमेशा रहा।
इनमे से पहला नाम है विश्वसेन राजपूत राय बजरंग
बहादुर सिंह का परिवार है जिनके वंशज रघुराज
प्रताप सिंह (राजा भैया) हैं, राय बजरंग बहादुर
सिंह हिमांचल प्रदेश के गवर्नर थे
तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे।
दूसरा परिवार सोमवंशी राजपूत राजा प्रताप
बहादुर सिंह का है और तीसरा परिवार
राजा दिनेश सिंह का है जो पूर्व में भारत के
वाणिज्य मंत्री और विदेश मंत्री जैसे पदों पर
सुशोभित रहे। इनकी रियासत कालाकांकर क्षेत्र
है। दिनेश सिंह की पुत्री राजकुमारी रत्ना सिंह
भी राजनीति में हैं तथा प्रतापगढ़
की मौजूदा सांसद हैं।
मुख्य रूप से ठाकुर और ब्राह्मण जाति के बीच
बंटा प्रतापगढ़ आज अशिक्षा, बिजली, सड़क,
सफाई और विकास की मार सह रहा है। लगातार
कांग्रेस का वर्चस्व होने के बावजूद यह शहर पिछले
20 सालों से उस दिन का बेसब्री से इंतजार कर
रहा है, जिस दिन इसका उद्धार होगा। ट्रैक्टर और
आंवले की फैक्ट्री होने के बावजूद इस शहर के लोग
रोजगार के लिए तरस रहे हैं।
दोनों ही फैक्ट्रियां राजनीति की शिकार है।