बिहार किसी पहचान का मोहताज नहीं है। बात मगध साम्राज्य की हो या चक्रवर्ती सम्राट अशोक की, बिहार के स्वर्णिम इतिहास के नींव पर ही आधुनिक भारत का निर्माण हुआ है। हिंदुस्तान को आजादी दिलाने वाले सड़क पर असंख्य बिहारी स्वतंत्रता सेनानियों की शहादत की कहानी आज भी लिखी हुई है। बिहार जिसके अतीत के गर्भ में नालंदा विश्वविद्यालय जैसे शिक्षण संस्थान बसते हैं, वह आधुनिक भारत में राजनेताओं की उपेक्षा का शिकार हो गया। बिहार जहाँ से हर वर्ष सैकड़ों की संख्या में प्रशासनिक अधिकारी निकलते हैं, अपने वर्तमान के काले अध्याय पर बैठा आंसू बहा रहा है। ऐसे समय में जब बिहार से सम्बंधित नकारात्मक ख़बरें न्यूज़ चैनलों और अख़बारों की टीआरपी बढ़ा रहे हैं, बिहार के संघर्षशील पत्रकारों ने न्यूज़ बीजे की स्थापना की। चूँकि बिहार के स्वर्णकाल को समझने और उसे वर्तमान में उतारने के लिए आज के झारखण्ड को समझना भी जरुरी है हमने झारखण्ड सहित बिहार की कल्पना करके बिहार की आवाज बनने का निर्णय लिया। हमारा उद्देश्य बिहार से जुड़ी सच्चाई और बिहार के सकारात्मक पहलु को देश और समाज के सामने लाना है। आज के प्रोपोगंडा की पत्रकारिता से अलग विकासशील बिहार के हर पहलु को हमारे पाठकों और दर्शकों के समक्ष लाने को हम प्रतिबद्ध हैं।