"झारखण्ड प्रांतीय मारवाड़ी युवे मंच" अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच की प्रांतीय (झारखण्ड प्रान्त) इकाई है|
10 अक्टूबर 1977 को गुवाहाटी, आसाम में स्थानीय मारवाड़ी युवाओं का एक संगठन बना, इस संगठन को नाम दिया गया "मारवाड़ी युवा मंच". अपनी विशिष्टता, सेवाभाव, जुझारूपन के कारन यह संगठन जल्दी ही आसाम के अन्य क्षेत्रों सहित समीपवर्ती अन्य राज्यों में भी फैलने लगा. शाखाएँ विस्तार लेने लगीं. मारवाड़ी युवा इस संगठन की सदस्यता के लिए आतुर होने लगे. फिर इस बढती स्वीकार्यता से उत्साहित होकर 20 जनवरी 1985 को गुवाहाटी में ही सभी शाखाओं एवं अतिथियों का सम्मलेन हुआ जिसे हम मंच का प्रथम अधिवेशन के रूप में जानते हैं. इसी अधिवेशन में एक राष्ट्रव्यापी संगठन का निर्माण हुआ, जो हम "अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच" के नाम से आपके बीच उपस्थित है. राजस्थान, मालवा, हरियाणा एवं समीपवर्ती इलाकों से (कहीं ना कहीं, किसी पीढ़ी में भी) देश - दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में फैले 18 से 40 वर्ष तक के युवक / युवतियां इसकी सदस्यता लेने को आतुर होने लगे. देश के लगभग सभी भागों एवं विदेशों में भी कुछ स्थानों पर युवाओं ने मंच की शाखाएँ खोलनी शुरू कर दीं. जो की वर्त्तमान समय में 700 से भी अधिक हो चुकी हैं. 40 हजार से अधिक युवा वर्त्तमान में इसके सक्रिय सदस्य हैं. गौरतलब है की यहाँ एक रिटायर्मेंट की सीमा भी निर्धारित है 45 वर्ष की आयु में पहुँचने पर किसी भी व्यक्ति की सदस्यता सक्रिय से हटा कर "वरिष्ठ" की श्रेणी में हस्तांतरित कर दी जाती है. जहाँ भी मंच की शाखाएँ हैं वहां बिना किसी भेद भाव के अपनी सेवाएँ जन सामान्य को प्रदान कर रहा है. चाहे वो रक्तदान हो, एम्बुलेंस सेवा हो या प्याऊ हो. अथवा तो विकलांगों के लिए कैलीपर कैम्प या पोलियो करेक्टिव सर्जरी के माध्यम से विकलांगों को समाज की मुख्य धारा में सम्मिलित करना हो. चाहे समाज की कुरूतियों पर कुठाराघात करता "कन्या भ्रूण संरक्षण अभियान" हो या फिर कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने के कोशिश करती "खोजो कैंसर" परियोजना हो, नेत्रदान के संकल्प में भी मंच अग्रणी है. संभवतः अलग अलग इनमें से किसी एक क्षेत्र में कार्य करने वाली सैंकड़ों संस्थाएं कार्यरत हैं परन्तु सभी विषयों पर एक साथ और वो भी इतने बड़े स्तर पर कार्य करना वाला यह देश का सबसे बड़ा युवा संगठन है. इसके अनुशासित सदस्य हर वक्त, हर परिस्थिति में समाज के हर वर्ग की सेवा को आतुर रहते हैं. अवसर चाहे कोई हो, कहीं कोशी में बाढ़ आयी हो या फिर केदारनाथ की त्रासदी हो या सीमा पर लड़ने वाले देश के रणबांकुरों के बीच जाकर कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण शिविर का आयोजन हो या अन्य कहीं भी युवाओं की जरुरत हो, वहां पहुच कर सेवा देने वालों में मंच सदैव अग्रणी है. राष्ट्र के सुरक्षा प्रहरी जिस प्रकार सीमा पर देश की सेवा में लगे हैं ठीक उसी प्रकार मंच का हर सदस्य सीमा के भीतर अपने तरीके से देश की सेवा में कार्यरत है.
कश्मीर हो या गुवाहाटी; एक देश एक माटी
युवा शक्ति :: राष्ट्र शक्ति
जय हिन्द