दूरदर्शन और विविध भारती के ज़माने में जन्मे ख़ुरापाती दिमागों की ख़ोज है…मालगुड़ीरेल्स
रोक-टोक, बंदिशों और बोझिल हो चुके नज़ारों और हरकतों का फल मात्र है…मालगुड़ीरेल्स| थोड़ी अलग सोच, रंग-बिरंगे विचारों और भाषा रुपी हथोड़े की मार से परे संगठित मंडली है… मालगुड़ीरेल्स |
जो बस अपनी आँखों देखी , कानों सुनी और ज़ुबां से बोली पर ही भरोसा करते है
फिर चाहे “तमाशा” का ‘जोकर’ हो या “प्रॉब्लम क्या है” का ‘बेचैनी से भरा इंसान’ या “ग़लत बात” के पर्दाफाश को तत्पर “अर्धनारी” या यह कहें ‘स्त्री पुरुष का मेल’ जो “भिंडी बाज़ार” के ‘झल्लरदार नज़ारों’ में घटी दुर्घटना का सक्रिय रूप से “ऑपरेशन थिएटर” के अंदर, सप्रेम चीरफाड़ तसल्ली से करने का निवेदन चाय की चुस्की लेते हुये कर रहे हो ।हम बंदिशों को तोड़ अपनी राह बनाने आए हैं । विद्रोह या विरोध की कोई ख़्वाहिश नहीं, हम बस अपनी बात सप्रेम कहना चाहते है।
हम…मालगुड़ी रेल्स हैं |