भारत देश के हृदय स्थल में स्थित प्राचीन दक्षिण कौशल क्षेत्र जिसे अब छत्तीसगढ के नाम से जाना जाता है । इस छत्तीसगढ राज्य के हृदय स्थल में बसे तथा राज्य की राजधानी होने का गौरव प्राप्त रायपुर शहर वर्तमान ही नहीं बल्कि प्राचीन समय से ही राज्य की राजधानी रहा है । लोकमत के अनुसार चतुर्युगी नगरी के नाम से भी प्रसिद्धि प्राप्त है । रायपुर के भोंसलाकालीन दस्तावेज सन 1838 के आधार पर रतनपुर व रायपुर के नाम के संबंध में प्रस्तुत पंक्तियां उल्लेखित है :-
सतयुग में इस नगरी का नाम कनकपुर था । त्रेतायुग में हाटकपुर. द्धापर में कंचनपुर तथा कलियुग में रायपुर के नाम से ख्याति प्राप्त है । कलियु्ग में तो ऐतिहासिक काल से ही राजधानी होने के प्रमाण मिलते हैं । इसके अधीन क्षेत्र में 18 गढ ( किले) होने का वर्णन इतिहास में सर्वविदित है । राजधानी के अलावा पर्यटन स्थलों. स्मारक वनों. तालाबों. बाग बगीचों. विभिन्न मंदिरों. धर्मस्थलों के साथ –साथ शहर के मध्य प्रतिष्ठित सिद्धपीठ श्री महामाया देवी मंदिर लाखों – करोडों लोंग के आस्था का केन्द्र है । यह प्राचीन सिद्धपीठ श्री महामाया देवी मंदिर ऐतिहासिक काल से ही साधकों की साधना व तप:स्थली रही है । जहां होते रहे वृहद अनुष्ठान. साधना. उपासना व नित्य पूजा पाठ तथा श्री महामाया माता की कृपा के प्रभाव से यह नगर हर प्रकार की प्राकृतिक – अप्राकृतिक आपदाओं से मुक्त है।