यही वो स्थान हैं,जहाँ मैंने सर्वप्रथम गुरुमहाराज जी के दर्शन किए...ये वो स्थान हैं,जहाँ गुरुमहाराज जी के दादागुरु आचार्य श्री आदिसागर जी महाराज जी की समाधि हुई...ये ही वो स्थान हैं,जहाँ पर गुरुमहाराजजी के पार्थिव देह की अंतिम क्रिया सम्पन्न की गई...ये ही वो स्थान हैं,जहाँ आदिनाथ प्रभु जी का बहुत ही प्राचीन दिगम्बर जैन मंदिर हैं...ये ही वो स्थान हैं,जहाँ आदिनाथ प्रभु जी के,उनके ही समवशरण से मोक्ष जाने वाले,परम प्रतापी पुत्र श्री १००८ अन्नतवीर्य स्वामी जी की विशाल भव्य प्रतिमा हैं...यहाँ का वातावरण आज की आचार्य श्री आदिसागर जी और गुरु महाराजजी अविश्वसनीय तपस्या से महका हुआ हैं...
आप सब भी परिवार सहित एक यहाँ के दर्शन का आनंद अवश्य लें...
जय जिनेन्द्र...