Khati Baba, Jhansi

Khati baba Jhansi, Jhansi, 284003
Khati Baba, Jhansi Khati Baba, Jhansi is one of the popular Landmark & Historical Place located in Khati baba Jhansi ,Jhansi listed under Landmark in Jhansi , Historical Place in Jhansi , Highway in Jhansi ,

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More about Khati Baba, Jhansi

महाराष्टर कुल देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झांसी में ब्याह हुआ रानी बन आयी लक्ष्मीबाई झांसी में राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छायी झांसी में सुघट बुंदेलों की विरुदावलि सी वह आयी झांसी में चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव से मिली भवानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजयाली छायी किंतु कालगति चुपके चुपके काली घटा घेर लायी तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भायी रानी विधवा हुई, हाय विधि को भी नहीं दया आयी निसंतान मरे राजाजी रानी शोक समानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी बुझा दीप झाँसी का तब डलहौज़ी मन में हर्षाया राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया फ़ौरन फौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झांसी आया अश्रुपूर्ण रानी ने देखा झांसी हुई बिरानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी अनुनय विनय नहीं सुनती है, विकट फिरंगी की माया व्यापारी बन दया चाहता था जब यह भारत आया डलहौज़ी ने पैर पसारे, अब तो पलट गई काया राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महरानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी छिनी राजधानी दिल्ली की, लखनऊ छीना बातों बात कैद पेशवा था बिठुर में, हुआ नागपुर का भी घात उदैपुर, तंजौर, सतारा, कर्नाटक की कौन बिसात? जबकि सिंध, पंजाब ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र-निपात बंगाले, मद्रास आदि की भी तो वही कहानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी रानी रोयीं रनवासों में, बेगम ग़म से थीं बेज़ार उनके गहने कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाज़ार सरे आम नीलाम छापते थे अंग्रेज़ों के अखबार नागपूर के ज़ेवर ले लो लखनऊ के लो नौलख हार यों परदे की इज़्ज़त परदेशी के हाथ बिकानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी कुटियों में भी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान वीर सैनिकों के मन में था अपने पुरखों का अभिमान नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान बहिन छबीली ने रण चण्डी का कर दिया प्रकट आहवान हुआ यज्ञ प्रारम्भ उन्हें तो सोई ज्योति जगानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी महलों ने दी आग, झोंपड़ी ने ज्वाला सुलगाई थी यह स्वतंत्रता की चिन्गारी अंतरतम से आई थी झांसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छाई थी मेरठ, कानपूर, पटना ने भारी धूम मचाई थी जबलपूर, कोल्हापूर में भी कुछ हलचल उकसानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी इस स्वतंत्रता महायज्ञ में कई वीरवर आए काम नाना धुंधूपंत, ताँतिया, चतुर अज़ीमुल्ला सरनाम अहमदशाह मौलवी, ठाकुर कुँवरसिंह सैनिक अभिराम भारत के इतिहास गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम लेकिन आज जुर्म कहलाती उनकी जो कुरबानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी इनकी गाथा छोड़, चले हम झाँसी के मैदानों में जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दानों में लेफ्टिनेंट वाकर आ पहुँचा, आगे बड़ा जवानों में रानी ने तलवार खींच ली, हुया द्वन्द्ध असमानों में ज़ख्मी होकर वाकर भागा, उसे अजब हैरानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी रानी बढ़ी कालपी आयी, कर सौ मील निरंतर पार घोड़ा थक कर गिरा भूमि पर गया स्वर्ग तत्काल सिधार यमुना तट पर अंग्रेज़ों ने फिर खायी रानी से हार विजयी रानी आगे चल दी, किया ग्वालियर पर अधिकार अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी विजय मिली पर अंग्रेज़ों की, फिर सेना घिर आई थी अबके जनरल स्मिथ सम्मुख था, उसने मुहँ की खाई थी काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थी युद्ध श्रेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी पर पीछे ह्यूरोज़ आ गया, हाय घिरी अब रानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी तो भी रानी मार काट कर चलती बनी सैन्य के पार किन्तु सामने नाला आया, था वह संकट विषम अपार घोड़ा अड़ा नया घोड़ा था, इतने में आ गये सवार रानी एक शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार पर वार घायल होकर गिरी सिंहनी उसे वीरगति पानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी रानी गयी सिधार चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुष नहीं अवतारी थी हमको जीवित करने आयी, बन स्वतंत्रता नारी थी दिखा गई पथ, सिखा गई हमको जो सीख सिखानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी जाओ रानी याद रखेंगे हम कृतज्ञ भारतवासी यह तेरा बलिदान जगायेगा स्वतंत्रता अविनाशी होये चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झांसी तेरा स्मारक तू ही होगी, तू खुद अमिट निशानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी -

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