मेरे विद्यालय का नाम राजकीय उच्च विद्यालय . जादूगोड़ा, है ‘विद्यालय’ विद्या का मंदिर होता है। जहां विद्या की देवी ‘मां सरस्वती’ के उपासक अर्थातृ विद्यार्थी ज्ञान की प्राप्ति के लिये जाते हैं। विद्यालय वह पवित्र स्थान है जहां अबोध बच्चों को अनुशासन, सच्चरित्रता एवं सभ्य नागरिक बनने की शिक्षा दी जाती है।
हमारा विद्यालय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय है। इसमें दसवीं कक्षा तक शिक्षा दी जाती है।
मेरे विद्यालय का परीक्षा परिणाम बहुत अच्छा जाता है। शत् प्रतिशत विद्यार्थी प्रत्येक कक्षा में उत्तीर्ण होते हैं। यह मेरे लिये विशेष प्रतिष्ठा की बात है।
हमारा विद्यालय खुले स्थान पर बना है। इसका भवन बहुत विशाल और साफ सुथरा है। विद्यालय का भवन दुमंजिला है । इसके आस पास घने पेड़ों एवं फूलों का बगीचा है। ओर खेलने के लिये मैदान है। यहीं पर प्रातः कालीन सभा और प्रार्थना होती है।
कक्षा के कमरों में छात्र छात्राओं कें बैठने के लिये बढ़िया बेंच एवं अध्यापकों के बैठने के लिये मेज कुर्सियों का उचित प्रबन्ध है। एक विशाल श्यामपट प्रत्येक कक्षा में है जिसके साथ ‘डस्टर’ एवं ‘चाक’ भी उपलब्ध कराये जाते हैं। हमारे विद्यालय के अध्यापक एवं अध्यापिकायें अपने विषयों के विद्धान हैं। विद्यालय के प्रधानध्यापक एक सज्जन पुरूष हैं। वह हमें पितृवत स्नेह देते हैं। पर वह बहुत अनुशासन प्रिय हैं। उनके कार्यकाल में हमारे विद्यालय की प्रतिष्ठा में अत्यधिक वृद्धि हुई है।
हमारे विद्यालय में सभी तरह के खेलों, व्यायाम इत्यादि की भी उचित व्यवस्था है।मनोरंजन एवं ज्ञान बढ़ाने के लिये एक पुस्तकालय भी है।खेलों और सांस्कृतिक कार्यों में हमारे विद्यालय ने कई पुरस्कार एवं ट्राफियां जीती हैं। छात्र-छात्राऐं बाल दिवस, गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, शिक्षक दिवस, गाँधी जयंती विद्यालय का वार्षिकोत्सव जैसे विभिन्न अवसरों पर होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं । इससे हमारे अंदर ईमानदारी धैर्य साहस आपसी सहयोग जैसे गुणों का विकास होता है । मुझे अपने विद्यालय पर गर्व है।
" सौरव कुमार "