आज की परिस्थिति ऐसी है कि बहुत सारी राजनीतिक दलों का सृजन लोक लुभावन वादों के पुलिंदे की नींव पर किया जा रहा है। परंतु इनका आमजन के वास्तविक परेशानियों से कोई सरोकार नहीं है। हर दल के संयोजक, जो कि अधिकांशतः ६० साल से ८० साल की उम्र के होते हैं, स्वयं को युवाओं का तारणहार समझ बैठते हैं। कुछ युवाओं को पदों का लालच देकर दल का विस्तार करने का कार्य सौंपते हैं। मुझे ये समझ नहीं आता कि जिस उम्र में इन्हें ईश्वर भक्ति में समय गुजारना चाहिए, ये हम युवाओं के सतत् विकास के लिये हमारा नेतृत्व का दम्भ भरते हैं। चिंता का विषय ये है कि क्या ये हमारी तरह सोच सकते हैं, क्या ये हमारी समस्या के समाधान करने लायक भी हैं। नहीं, बिलकुल भी नहीं। हम युवाओं को इन जैसे चंद मौकापरस्त नेताओं से दूरी बनानी पड़ेगी। हमें स्वयं अपने अधिकार के लिये बोलना सीखना पड़ेगा।
कन्हैया कुमार
संयोजक
भारत मुक्ति संघ
सर्वधर्म समभाव के साथ सर्वजन समभाव हमारा लक्ष्य।