Basti -Land of sage vashishta

बस्ती, Basti,
Basti -Land of sage vashishta Basti -Land of sage vashishta is one of the popular Religious Organization located in बस्ती ,Basti listed under Church/religious organization in Basti , Historical Place in Basti ,

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More about Basti -Land of sage vashishta

यह भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक शहर और बस्ती जिला का मुख्यालय है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण माना जाता है । बस्ती जिला संत कबीर नगर जिले के पूर्व और गोण्डा के पश्चिम में स्थित है । क्षेत्रफल की दृष्टि से भी यह उत्तर प्रदेश का सातवां बड़ा जिला है । प्राचीन समय में बस्ती को 'कौशल' के नाम से जाना जाता था ।

प्राचीन काल में बस्ती मूलतः वैशिश्थी के रूप में जाना जाता था । वैशिश्ठी नाम वसिष्ठ ऋषि के नाम से बना हैं, जिनका ऋषि आश्रम यहां पर था ।

वर्तमान जिला बहुत पहले निर्जन और वन से ढका था लेकिन धीरे - धीरे क्षेत्र बसने योग्य बन गया था । वर्तमान नाम बस्ती राजा कल्हण द्वारा चयनित किया गया था, यह घटना जो शायद 16वीं सदी में हुई थी । 1801 में बस्ती तहसील मुख्यालय बन गया था और 1865 में यह नव स्थापित जिले के मुख्यालय के रूप में चुना गया था ।

बहुत प्राचीन काल में बस्ती के आसपास का जगह कौशल देश का हिस्सा था । शतपथ ब्राह्मण अपने सूत्र में कौशल का उल्लेख किया हैं, यह एक वैदिक आर्यों और वैयाकरण पाणिनी का देश था । राम चन्द्र राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र थे जिनकी महिमा कौशल देश मे फैली हुई थी, जिंहे एक आदर्श वैध राज्य, लौकिक राम राज्य की स्थापना का श्रेय जाता है । परंपरा के अनुसार, राम के बड़े बेटे कुश कौशल के सिंहासन पर बैठे, जबकि छोटे बेटे लव को राज्य के उत्तरी भाग का शासक बनाया गया राजधानी श्रावस्ती था । इक्ष्वाकु से 93वां पीढ़ी और राम से 30 वीं पीढ़ी में बृहद्वल था, यह इक्ष्वाकु शासन का अंतिम प्रसिद्ध राजा था, जो महान महाभारत युद्ध में चक्रव्यूह में मारा गया था ।

छठी शताब्दी ई. में गुप्त शासन की गिरावट के साथ बस्ती भी धीरे - धीरे उजाड़ हो गया, इस समय एक नए राजवंश मौखरी हुआ, जिसकी राजधानी कन्नौज था, जो उत्तरी भारत के राजनैतिक नक्शे पर एक महत्वपूर्ण स्थान ग्रहण किया और इसी राज्य में मौजूद जिला बस्ती भी शामिल था ।

9वीं शताब्दी ई. की शुरुआत में, गुजॅर प्रतिहार राजा नागभट्ट द्वितीय ने अयोध्या से कन्नौज शासन को उखाड़ फेंका और यह शहर उनके नये बनते शासन का राजधानी बना, जो राजा महीरा भोज 1 ( 836 - 885 ई. ) के समय मे बहुत ऊचाई पर था । राजा महिपाल के शासनकाल के दौरान, कन्नौज के सत्ता में गिरावट शुरू हो गई थी और अवध छोटा छोटे हिस्सों में विभाजित हो गया था लेकिन उन सभी को अंततः नये उभरते शक्ति कन्नौज के गढवाल राजा जय् चंद्र (1170-1194 ई.) मिले । यह वंश के अंतिम महत्वपूर्ण शासक थे जो हमलावर सेना मुहम्मद गौर के खिलाफ चँद॔वार की लड़ाई (इटावा के पास) में मारा गये थे उनकी मृत्यु के तुरंत बाद कन्नौज तुर्कों के कब्जे में चला गया ।

किंवदंतियों के अनुसार, सदियों से बस्ती एक जंगल था और अवध की अधिक से अधिक भाग पर भार कब्जा था । भार के मूल और इतिहास के बारे में कोई निश्चित प्रमाण शीघ्र उपलब्ध नही है । जिला में एक व्यापक भर राज्य के सबूत के रुप मे प्राचीन ईंट इमारतों के खंडहर लोकप्रिय है जो जिले के कई गांवों मे बहुतायत संख्या में फैले है ।


प्रमुख स्थल

संत रविदास वन विहार, भद्रेश्‍वर नाथ, मखौडा, श्रंगीनारी, गणेशपुर,धिरौली बाबू,, छावनी बाजार, केवाड़ी मुस्तहकम, नागर, चंदू ताल, बराह, अगौना,पकरी भीखी आदि यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से है ।

संत रविदास वन विहार -- संत रविदास वन विहार (राष्ट्रीय वन चेतना केन्द्र) कुआनो नदी के तट पर स्थित है । यह वन विहार जिला मुख्यालय से केवल एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित गणेशपुर गांव के मार्ग पर है । यहां पर एक आकर्षक बाल उद्यान और झील स्थित है । इस बाल उद्यान और झील की स्थापना सरकार द्वार पिकनिक स्थल के रूप में की गई है । वन विहार के दोनों तरफ से कुवाना नदी का स्पर्श इस जगह की खूबसूरती को और अधिक बढ़ा देता है । संत रविदास वन विहार स्थित झील में बोटिंग का मजा भी लिया जा सकता है । सामान्यत: अवकाश के दौरान और रविवार के दिन अन्य दिनों की तुलना में काफी भीड़ रहती है ।

भदेश्वर नाथ -- यह कुआनो नदी के तट पर, जिला मुख्यालय से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । भद्रेश्‍वर नाथ भगवान शिव को समर्पित मंदिर है । माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना रावण ने की थी । प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है । काफी संख्या में लोग इस मेले में सम्मिलित होते है ।

मखौडा -- मखौडा जिला मुख्यालय के पश्चिम से लगभग 57 किलोमीटर की दूरी पर है । यह स्थान रामायण काल से ही काफी प्रसिद्ध है । राजा दशरथ ने इस जगह पर पुत्रेस्ठी यज्ञ किया था । मखौडा कौशल महाजनपद का एक हिस्सा था ।

श्रंगीनारी -- अयोध्या धाम से लगभग 30 किमी की दूरी पर स्थित ऋषि श्रंगी का आश्रम व तपोस्थली।

गनेशपुर -- गनेशपुर बस्ती जिला का एक छोटा सा गांव है । यह पश्चिम में मुख्यालय से सिर्फ 4 किमी. दूर और कुवांना नदी के तट पर स्थित है । यह पुराने मूल के पिंडारियो के उत्पत्ति का स्थान है ।

धिरौली बाबू -- धिरौली बाबू बस्ती जिले का एक एतिहासिक गांव है । यह मुख्यालय से पश्चिम में छावनी बाजार से सिर्फ ६ किमी. दूर और अमोढ़ा रियासत से 4 किमी दूर घाघरा नदी के तट पर स्थित है । घिरौलीबाबू निवासी कुलवंत सिंह, हरिपाल सिंह, बलवीर सिह, रिसाल सिंह, रघुवीर सिंह, सुखवंत सिह,रामदीन सिंह रामगढ़ गांव में अंग्रेजों का मुकाबला करने की रणनीति बनाने के लिए 17 अप्रैल 1858 को बुलायी गयी बैठक में शामिल थे । इन सभी को अंग्रेज सेना ने पकड़ के छावनी के पीपल के वृक्ष पर फासी पे लटका दिया। घिरौलीबाबू के क्रांतिकारियों ने घाघरा नदी में नौसेना का निरीक्षण करने आये अंग्रेज अफसर को पकड़ के मार दिया था किन्तु उसकी पत्नी को छोड़ दिया,जिसकी सुचना मिलते ही गोरखपुर के जिलाधिकारी ने पूरे ग्राम को जला देने और भूमि जब्त करने का ऑर्डर दे दिया ।आज भी धिरौली बाबू में कुलवंत सिंह एवम रिसाल सिंह के वंशज रणजीत सिंह, कृष्ण कुमार सिंह एवम हरिपाल सिंह एवं रामदीन सिंह के वंशज रहते है ।

छावनी बाजार -- छावनी बाजार जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । छावनी बाजार 1858 ई. के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों का प्रमुख शरण स्थान रहा है । यह स्थान शहीदो के पीपल के वृक्ष के लिए भी प्रसिद्ध है । इसी जगह पर ब्रिटिश सरकार ने जनरल फोर्ट की मृत्यु के पश्चात् कार्रवाई में 500 जवानों को फांसी पर लटका दिया था ।

केवाड़ी मुस्तहकम -- बस्ती जिले से 29 किलोमीटर दूर रामजानकी रास्ते पर स्थित यह छोटा सा गाँव चिलमा बाज़ार के बगल में स्थित है | यह गाँव अध्यापकों की मातृभूमि कही जाती है | जिसको शुरुआत श्री रामदास चौधरी ने भटपुरवा इंटर कॉलेज की स्थापना 1963 में की, और उनके इस शुभ कार्य को सफलता की उचाइयों पर श्री शिव पल्टन चौधरी ने बखूबी पहुँचाया |

नगर बाजार -- जिला मुख्यालय से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित नगर एक छोटा सा गांव है । नगर गांव की पश्चिम दिशा में विशाल झील चंदू तल स्थित है । यह मछली पकड़ने और निशानेबाज़ी करने के लिए प्रसिद्ध है । इसके अलावा यह गांव गौतम बुद्ध के जन्म स्थल के रूप में भी जाना जाता है । चौदहवीं शताब्दी में यह स्थान गौतम राजाओं का जिला मुख्यालय बन गया था । उस समय का प्राचीन दुर्ग आज भी यहां देखा जा सकता है । जिला मुख्यालय से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके पूर्व में चन्दो ताल है

अगौना -- अगुना जिला मुख्यालय मार्ग में राम जानकी मार्ग पर बसा हुआ है । अगुना प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार श्री राम चन्द्र शुक्ल की जन्म भूमि है ।

बराह छतर -- बराह छतर ज़िला मुख्यालय से पश्चिम में लगभग 15 किमी की दूरी पर कुवांना नदी के तट पर स्थित है । यह जगह मुख्य रूप से बराह मंदिर के लिए प्रसिद्ध है । बराह छतर लोकप्रिय पौराणिक पुस्तकों में वियाग्रपुरी रूप में जाना जाता है । इसके अलावा बराह को भगवान शिव की नगरी के नाम से भी जाना जाता है ।

चंदो ताल -- चंदो ताल जिला मुख्यालय से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । माना जाता है कि प्राचीन समय में इस जगह को चन्द्र नगर के नाम से जाना जाता था । कुछ समय पश्चात् यह जगह प्राकृतिक रूप से एक झील के रूप में बदल गई और इस जगह को चंदो ताल के नाम से जाना जाने लगा । यह झील पांच किलोमीटर लम्बी और चार किलोमीटर चौड़ी है । माना जाता है कि इस झील के आस-पास की जगह से मछुवारों व कुछ अन्य लोगों को प्राचीन समय के धातु के बने आभूषण और ऐतिहासिक अवशेष प्राप्त हुए थे । इसके अलावा इस झील में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पक्षियों की अनेक प्रजातियां भी देखी जा सकती है । ये ताल नगर बाजार से पूर्व में सेमरा चींगन गांव तक पहुंचा हुआ है

पकरी भीखी -- यह गावं गर्ग जातियोँ का एक समूह है, जिनसे पाँच गावं का उदय हुआ - पकरी भीखी, जिनवा, बाँसापार, पचानू, आमा। पकरी भीखी का नाम भीखी बाबा के नाम का अंश है।

Map of Basti -Land of sage vashishta

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