BARGAD NGO
Homemade Biogas Tank
गऊ और गौबर क्रंति को नई दिशा
"मैं व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री जी के एलपीजी गैस पर सब्सिडी छोड़ने का समर्थक हु किन्तु सब्सिडी छोड़ने मत्र से तो तैलपूल का घाटा तो कम होने वाला नहीं है और किसानो की खाद की समस्या का हल भी नहीं निकलने वाला है।इसलिए जितनी जल्दी हो गोबर गैस के सिलेंडर बाजार में न सही गाँव में तो उपलब्ध होना ही चाहिए ।
ये पूर्णरूप से मेक इन इण्डिय थेयोरी पर बना है। मैंने इसे नाम दिया है। अपने ngo का BARGAD यानी "भारतीय अल्टरनेटिव रुलर गैस् डिस्टिब्यूशन" और ऐ बापू का स्वदेशी और स्वराज का धोतक भी है।
बरगद ngo के अध्यक्ष हरदयाल कुशवाह ने कुछ सफ़ल प्रयोगो में पाया की हम इस गैस को कार के टियूबो में सफ़लता पूर्वरक स्टोर कर सकते है। और जरूरत मद ग़रीब मजदूर किसानों तक पंहुचा सकते है।
Swachta Mission.
Yamuna Vahini
Yamuna Vahini is a huge team of Volunteers known as ‘Jal Mitr’ in 272 wards of Delhi consists min 5 Volunteers each, it was especially created to generate awareness and motivate peoples for to purify and clean Yamuna. Jal Mitr consists of 1 Professional, 1 NGO, 1 Student, 1 Female and 1 Local Hawker/shopkeeper.We started Yamuna Aarti at each Ghats.
Yamuna Satyagrah at Jantar Mantar. Yamuna Padh Yatra.
Awareness Campaign.
Yamuna’s Waste Managements
Nirbhaya free cab
Yoga and Karate Center
Health and Education Center
Camp of Adhar card Bank Account
Free Blankets And Stationary
Gosti and Seminar
Our Works Include:-
पिछले 5 वर्षो से इस विषय पर हमने परम पूज्य आचर्य प्रवर स्वमी श्री ए एस विज्ञानाचर्य जी की आनुकम्मापा से कुछ घरेलू प्रयोग किये है और कुछ सफ़लता भी प्राप्त की है जो इस गौबर क्रंति को नई दिशा देंगी। प्रयोग के तौर पर गोविन्द मठ वृंदावन में पिछले 4 वर्षो से गौबर गैस का अविरल सफ़ल उपयोग न केवल हो रहा है अपितु इस भारतीय बिधा को गाँवो तक प्रसारित करने का काम भी किया जा रहा है।आचर्य प्रवर के निर्देसनुसार प्रयोग के तौर पर दिल्ली जैसे महानगर में छत के ऊपर पानी के टैंको को गैंस के टैंक के रूप में उपयोग में लाया जा रहा है और छोटे व पोर्टएविल टैंक तैयार कर उनसे गैस उत्पादन का प्रयोग किया जा रहा है।
गोबर गैस की कुछ कमियां
देश में बैज्ञानिक व परम्परगत खोज और शोध की जरूरत
गैस का उत्पादन कैसे वढाय जाये।
गैस के उपयोग ना होने पर टैंक में घुले गोबर पर जो परत वन जाती है उससे कैसे निपटा जाए।
टैंक से निकली गैस का उपयोग कितना और किन रूपो में किया जाए।
इस गैस को स्टोरीज कैसे किया जाए।
गोबर गैस को एलपीजी सिलेंडर की भाती वितरण कैसे किया जाये
गैस में पाइ जाने वाली नमी और पानी के कणो को कैसे दूर किया जाये।
गैस उत्पादन के बाद निकलने वाले गोबर और उसके खाद को किसानो बागवानी फ़ल उत्पादकों और बाग़ बगीचो तक कैसे पहुँचाया जाए।
गऊ शा्लाओ आश्रमो और पशुपलोको को आत्मनिर्भर कैसे बनाया जाए।
अब सिलेंडर में मिलेगी गौबर गैस
पिछले 80 के दशक में इंदर जी के शासन काल मे गौबर गैस पर कुछ समय के लिए काम हुए थे किन्तु जैसा आधिकांशता सरकारी योजनाओ की आधोगति होती है इस दूरगामी और महत्तवपूर्ण योजना के साथ भी हुआ।
उस समय से ही गोबर गैस की इस विधा पर काम हुआ होता तो आज पशुपालको किसानो और आमजन मनुष्य की आर्थिक स्तिथि कुछ और होती साथ ही साथ भारत की आर्थिक विकास दर भी शयद कुछ आगे ही होती चूँकी इस देशी विधा में भारत की गैस और खाद लॉबी के लिए दलाली या कमीशन की गुंजाइस न के बराबर थी सो इसे सफ़ल ही नहीं होने दिया और ना इसके दूरगामी परिणामो से पशुपालको किसानो और उच्च मध्य वर्ग को अबगत कराया गया।
हमारी प्रचीन ऋषि मुर्ख नहीं होंगे जिन्होंने गाय को भारत की आर्थिक धुरी के केंद्र के रूप में देखा था अपितु उन प्रचीन ऋषियो ने गऊ धन पर शोध किया होगा की गया का अधिक्ताम उपयोग तत्कालीन सामज हित में कैसे किया जाए
हमे एक आंदोलन या जन क्रान्ती के पशु धन को उदयोग के रूप में स्थापित करना होगा साथ ही साथ हिन्दू धर्म अनुयाई गऊ माता और गऊ भक्तो को गाय को माँ के रूप में पूजे न पूजे पर गौधन के रूप में आने वाले समय में स्थापित करना ही होगा अगर देश और समाज को एलपीजी के आर्थिक सामाजिक राजनैतिक और शरीरिक दुष्परिणामो से बचाना है तो।