बाबा दलीप सिंह मन्हास (बाबा चमलियाल) जी एक महान संत और तपस्वी थे जिनकी वर्तमान स्थल चमलियाल गावं में तपोभूमि है | बाबा जी निस्वार्थ लोगों की सेवा में लीन रहते थे | बाबा जी का आस-पास के गावों में बहुत प्रभाव था और उनके कई भक्त थे जिनके कारण कुछ शरारती तत्वों को उनसे ईर्ष्या होने लगी | एक बार उन असामाजिक तत्वों ने बाबा जी को सैदावाली गाँव (इस दरगाह से 500 मीटर दक्षिण में जो अब पाकिस्तान में है ) में बुलाया और धोखे से उनका सिर कल्म कर दिया |
गर्दन सैदावाली में गिर गयी और धड़ बाबा जी की रहस्यमयी शक्ति से चमलियाल में आ गया | वर्तमान स्थल पर बाबा जी के धड़ की समाधि बनाई गयी | सैदावाली में (जो गर्दन अब पाकिस्तान में है) वहां पर बाबा जी की गर्दन की अन्तेष्टि की गयी, वहां पर भी बाबा जी की समाधि बनाई गई है |
एक बार बाबा जी का एक भक्त चर्म रोग से पीड़ित था उसे बाबा जी ने सपने में दर्शन देकर कहा की वर्तमान स्थल चमलियाल की पवित्र मिटटी (शक़्कर) और पवित्र जल (शरबत) को रोजाना लगाकर स्नान करो | उस भक्त ने वैसा ही किया और चन्द दिनों में वो ठीक हो गया | तब से सभी धर्मो के लोग श्र्द्धा भावना और विश्वास से समाधि के दर्शन के लिए आते हैं और चर्म रोग से पीड़ित लोग स्वस्थ होकर जाते हैं | प्रत्येक वर्ष जून माह के चौथे गुरूवार को वर्तमान स्थल पर बाबा जी की याद में मेले का आयोजन किया जाता है | यह मेल भारत और पाकिस्तान दोनों जगह मनाया जाता है | पाकिस्तान के श्रदालु भी सीमा सुरक्षा बल के अधिकारिओं को बाबा जी की चादर सुपुद्ध (सौंपते) करते हैं जिसे समाधि पर चढ़ाया जाता है | यहाँ से सीमा सुरक्षा बल पाकिस्तान के श्रदालुओ के लिए इस पवित्र स्थल की मिटटी (शक़्कर) और पानी (शरबत) भेंट करते हैं |
दोनों देशों के श्रदालु भक्त बाबा जी की समाधि पर पूजा करते हैं और बाबा जी के दरबार पर सब धर्मो के लोग सिर झुकाते हैं भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थिति कितनी भी तनावपूर्ण हो लेकिन बाबा जी के वार्षिक मेले पर दोनों देशो की सेना (सीमा सुरक्षा बल और चेनाब रैंजर्स) के जवानों के हाथो में हथियारों की जगह एक दूसरे के लिए मिठाई के डिब्बे होते हैं |
इस पवित्र स्थान की देख भाल पूजा पाठ एव अन्य प्रबंध जिला प्रशासन द्वारा गावं दग छन्नी वासियों के सहयोग से किया जाता है यहाँ पर श्रदालुओं के लिए निशुल्क लंगर और आवास की सुविधा है |