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संक्षिप्त विवरण
चंद्रवंशी खाती समाज श्री सहस्त्रबाहु(शहस्त्रर्जुन ) के पुत्र है,भगवान जगदीश समाज के इस्त्देव हैं, कुलदेवी महागौरी अष्टमी है, कुलदेव भैरव देव और आराध्य देव भोले शंकर है, खाती समाज पर भगवान परशुराम जी का आशीर्वाद है.इस जाती के लोग सुन्दर और गोर वर्ण अर्थात गोरे चिट्टे होते है.क्षत्रिय खाती समाज जम्मू कश्मीर के अभेपुर और नभेपुर के मूल निवासी है.आज भी चंद्रवंशी लोग हिमालय क्षेत्र केसर की खेती करते हैं.
समाज1200 वर्ष पहले से ही कश्मीर से पलायन करने लग गया था और भारत के अन्य राज्यों में बसने लग गया था।सम कालीन राजा के आदेश से समाज को राज्य छोड़ना पड़ा था। खाती समाज के लोग बहुत ही धनि और संपन्न थे, उच्च शिक्षा को महत्त्व दिया जाता था।
जम्मू कश्मीर के अल्लाउदीन खिलजी ने सन 1305 में मालवा और मध्य भारत में विजय प्राप्त की,उस समय चंद्रवंशी खाती समाज के सैनिक भी सेना का सञ्चालन करते थे।विजय से खुश होकर किलजी ने समाज को मालव पर राज करने को कहा परन्तु समाज के वरिष्ट लोगो ने सोच विचार कर निर्णय लिया, एस तरह कश्मीर से आने के बाद 35 वर्ष तक समाज मांडवगड़ में रहा इसके बाद आगे बाद कर महेश्वर जिसे महिष्मतिपूरी कहते थे वहा आकर रहने लगे महेश्वर चंद्रवंशी खाती समाज के पूर्वज शहस्त्रर्जुन की राजधानी थी।आज भी महेश्वर में सहस्त्रबाहु की विशाल मंदिर बना हे जिसका सञ्चालन कलचुरी समाज करता हे।
महेश्वर में 45 वर्षो तक रहने क बाद वह से इंदौर,उज्जैन,देवास,धार,सांवेर,रतलाम,सीहोर,भोपाल,आदि जिलो में बसते चले गए और खाती पटेल कहलाये।
मालवा में खाती समाज के पूर्वजो ने 444 गांव बसाये जिनकी पटेली की दसियत भी उनके नाम रही।
खाती समाज का गौरवपूर्ण इतिहास रहा हे समाज के कुल 105 गोत्र हे जिसमे से 8 4 गोत्र मध्य प्रदेश में हे और प्रदेश के 1 6 जिलो में फेले हुए हे और 1250 गांवो में निवास करते हे।
मध्य प्रदेश