Shiva is the appearance of the entire universe , which is an embodiment of the Purnta .
पौराणिक कथाओं के अनुसार मानसरोवर के पास स्थित कैलाश पर्वत पर शिव-शंभु का धाम है। यही वह पावन जगह है, जहाँ शिव-शंभु विराजते हैं।
मान्यता है कि यह पर्वत स्वयंभू है। कैलाश-मानसरोवर उतना ही प्राचीन है, जितनी प्राचीन हमारी सृष्टि है। इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का समागम होता है, जो ‘ॐ’ की प्रतिध्वनि करता है। इस पावन स्थल को भारतीय दर्शन के हृदय की उपमा दी जाती है, जिसमें भारतीय सभ्यता की झलक प्रतिबिंबित होती है। कैलाश पर्वत की तलछटी में कल्पवृक्ष लगा हुआ है। कैलाश पर्वत के दक्षिण भाग को नीलम, पूर्व भाग को क्रिस्टल, पश्चिम को रूबी और उत्तर को स्वर्ण रूप में माना जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह जगह कुबेर की नगरी है। यहीं से महाविष्णु के करकमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है, जहाँ प्रभु शिव उन्हें अपनी जटाओं में भर धरती में निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते हैं।
यह स्थान बौद्ध धर्मावलंबियों के सभी तीर्थ स्थानों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। कैलाश पर स्थित बुद्ध भगवान के अलौकिक रूप ‘डेमचौक’ बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए पूजनीय है। वह बुद्ध के इस रूप को ‘धर्मपाल’ की संज्ञा भी देते हैं। बौद्ध धर्मावलंबियों का मानना है कि इस स्थान पर आकर उन्हें निर्वाण की प्राप्ति होती है। वहीं जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ने भी यहीं निर्वाण लिया। कुछ लोगों का मानना यह भी है कि गुरु नानक ने भी यहाँ ध्यान किया था।
मानसरोवर झील से घिरा होना कैलाश पर्वत की धार्मिक महत्ता को और अधिक बढ़ाता है। प्राचीनकाल से विभिन्न धर्मों के लिए इस स्थान का विशेष महत्व है। इस स्थान से जुड़े विभिन्न मत और लोककथाएँ केवल एक ही सत्य को प्रदर्शित करती हैं, जो है सभी धर्मों की एकता।
भगवान का स्वरूप, उसका आकार वास्तव में कैसा है इस सवाल का जवाब वाकई किसी के पास नहीं है। ईश्वरीय शक्ति पर विश्वास करने वाले लोग, जिन्हें सामान्य भाषा में आस्तिक कहा जाता है, जिस रूप में उस शक्ति को देखना चाहते हैं, उसे वैसा ही स्वरूप दे देते हैं।
हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवताओं का जिक्र किया गया है, जिनका निवास स्वर्ग में बताया गया है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि महादेव शिव, जिनके हाथ में सृष्टि के विनाश की बागडोर है, अपने परिवार के साथ कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं।
आपको शायद इस बात पर यकीन नहीं होगा लेकिन ये सच है कि हिमालय की गोद में स्थित कैलाश पर्वत पर आज भी भगवान शिव अपने परिवार, यानि माता पार्वती, भगवान गणपति, भगवान कार्तिकेय के साथ रहते हैं।
वैसे तो ये भी माना जाता है कि भगवान हमेशा हमारे बीच में रहते हैं, उन्हें पहचानना और उन तक पहुंचना केवल उसी व्यक्ति के लिए संभव है जिसके अंदर वाकई अपने ईश्वर को पाने की ललक हो। लेकिन कैलाश के जिस स्थान पर भगवान शिव का वास है वहां किसी के लिए भी पहुंच पाना बेहद कठिन या कह लीजिए असंभव सा ही है।
पौराणिक गाथाओं के अनुसार कैलाश के आसपास वातावारण में कुछ ऐसी रहस्यमयी शक्तियां मौजूद हैं जो किसी भी आम इंसान को भगवान शिव तक पहुंच बनाने नहीं देतीं। लेकिन ग्यारहवीं शताब्दी में एक बौद्ध भिक्षु ने कैलाश पर्वत पर बसे भगवान शिव के निवास तक पहुंचने की हिम्मत की थी।
इतिहास के अनुसार तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेपा एक मात्र ऐसे व्यक्ति रहे जो कैलाश पर्वत पर मौजूद रहस्यमयी शक्तियों को हराकर उस स्थान तक पहुंच पाए थे।
विभिन्न धर्मों में ईश्वर के निवास स्थान का उल्लेख किया गया है, जो धरती के बीचो-बीच स्थित है। किसी धर्म में इस स्थान को जन्नत कहा जाता है, कहीं स्वर्ग तो कहीं हेवेन। विभिन्न पौराणिक इतिहास में भी उत्तरी ध्रुव को ही वो स्थान माना गया है जहां देवता निवास करते हैं।
पिछले कई वर्षों में वैज्ञानिक इस सवाल को खोजने में लगे हैं कि आखिर कैलाश पर्वत पर ऐसा क्या है जो कोई भी आम इंसान उस स्थान तक नहीं पहुंच पाता, जहां केवल एक बौद्ध भिक्षु ही पहुंचा था।
अभी तक वैज्ञानिकों ने जितने भी शोध संपन्न किए हैं, उनके अनुसार एक्सिस मुंड एक ऐसा बिंदु है, जहां आकर धरती और आकाश एक दूसरे से मिलते हैं। इसी बिंदु पर अलौकिक शक्तियों का प्रवाह बहुत तेज गति से बहता है। अगर आप इस थान पर पहुंच गए तो आप भी उन शक्तियों के संपर्क में आ सकते हैं।
जिस बिंदु पर आकार धरती और आकाश का मेल होता है, जहां ये अलौकिक शक्तियां प्रवाहित होती हैं, उस स्थान को कैलाश पर्वत कहा जाता है। कैलाश के उस स्थान तक अगर कोई पहुंच जाए, जिसके बारे में कहा जाता है वहां ये शक्तियां होती हैं, तो कोई भी साधारण मनुष्य उनका अनुभव कर सकता है।
पिछले कई सालों से ऋषि-मुनि इस स्थान की बात करते हैं, साथ ही ये भी कहते हैं कि वहां पहुंच बनाना बिल्कुल भी संभव नहीं है। शिव की कृपा से ही वहां उन अद्भुत शक्तियों का वास है। आज भी बहुत से साधक और ऋषि-मुनी अपनी तपस्या के बल पर इस शक्तियों की सहायता से आध्यात्मिक गुरुओं से संपर्क साधते हैं।
ऊंचाई के मामले में कैलाश पर्वत, विश्व विख्यात माउंट एवरेस्ट से ज्यादा विशाल तो नहीं है, लेकिन कैलाश की भव्यता उसके आकार में है। ध्यान से देखने पर यह पर्वत शिवलिंग के आकार का लगता है, जो पूरे साल बर्फ की चादर ओढ़े रहता है।
कैलाश पर्वत का भूभाग भी पवित्र नदियों से घिरा हुआ है। सिंध, ब्रह्मपुत्र, सतलुज और कर्णाली, यह सभी पवित्र नदियां कैलाश पर्वत को छूकर गुजरती हैं। नदियों के अलावा कैलाश पर्वत के पास से गुजरने वाले मानसरोवर और राक्षस झील भी दुनियाभर में अपनी पहचान बनाए हुए हैं।
कैलाश पर तप करने आए तपस्वी बताते हैं कि कैलाश मानसरोवर, उतना ही प्राचीन है जितनी कि हमारी सृष्टि। कैलाश पर्वत की तरह ही मानसरोवर में भी कुछ अलौकिक शक्तियां मौजूद रहती हैं।
जब इस स्थान पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का मेल होता है तो ऐसा लगता है मानों ॐ की ध्वनि सुनाई दी गई हो। जो कि अपने आप में ही शिव की मौजूदगी को प्रमाणित करता है।
प्राचीन समय से ही यह मान्यता है कि जब भी गर्मी के मौसम में कैलाश पर्वत की बर्फ पिघलने लगती है तो ऐसी आवाज आती है जैसे मानो मृदंग बज रहा हो।
मान्यता तो यह भी है कि जो भी व्यक्ति मात्र एक बार मानसरोवर में डुबकी लगा ले तो उसे रुद्रलोक यानि शिव के लोक के दर्शन हो जाते हैं।