भारतीय कला का अपना एक उत्कृष्ट चिंतन एवं दर्शन रहा है, जिसका ध्येय रहा है "सा कला या विमुक्तये"। भारतीय संस्कृति में कला काे एकमात्र मनाेरंजन के साधन तक ही सीमित नहीं रखा गया वरन् जीवन के परम ध्येय विमुक्ति यानि माेक्ष की प्राप्ति का माध्यम बनाया गया है। संगीत में नाद की अवधारणा इसकी श्रेष्ठता काे स्वयं सिद्ध करती है। कालान्तर में कला के इन मर्म की उपेक्षा एवं सतही प्रयाेग द्वारा इसकी बहुत सी विसंगतियां एवं विकृतियां उत्पन्न हुइ जा चिन्ता का विषय बनीं। इसी चिन्ता से उबरने का प्रयास है संस्कार भारती।
संस्कार भारती का विधिवत पंजीकरण लखनउ में दिनांक 1 जनवरी 1981, तदनुसार सम्वत् 2036 काे कराया गया।
मीरजापुर में संस्कार भारती का गठन सम्वत् 2044 फाल्गुन शुक्ल 11 रंगभरी एकादशी काे अंग्रजी कैलेन्डर के अनुसार दिनांक 28 फरवरी 1988 रविवार अपरान्ह 2 बजे स्व0 सुखदेव सरार्फ के सुपुत्र श्री नारायण जी सरार्फ के टेढ़ी नीम िस्थत निवास पर उन्हीं की अध्यक्षता में किया गया।