*एक महानुभाव ने एक प्रश्न पूछ डाला मुझ से,शायद आपके मन में भी यह प्रश्न उठा हो-*
*महानुभाव :* यह क्या अपने नाम के आगे आवारा जॆसा गन्दा शब्द क्यों.?? क्या तुम्हें कोई दूसरा नाम नहीं मिला...
तुमको इस का अर्थ पता हॆ..ऒर न जाने क्या क्या..��
*मॆं:* महानुभाव जी की पूरी विचारणीय तथ्य को सुनने ऒर समझने के बाद मॆंने अपनी उनके समक्ष अपनी राय प्रस्तुत की-
"श्री मान, आवारा कवि से तात्पर्य ऎसे कवि से हॆ जिसके लिखने आदि का कोई ठौर ठिकाना न हो अर्थात किसी भी समय किसी भी विधा पर स्वतंत्र रूप से लिखता हो..। _*जो एहसास को ही सर्वोपरि मानता हो ऒर उसे ही काव्य का आधार मानता हो ,वह हॆ आवारा कवि.!!*_"
✍ *आवारा कवि*
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