गाय की महिमा को शब्दों में नहीं बाँधा जा सकता। मनुष्य अगर गौमाता को महत्व देना सीख ले तो गौ माता उनके दुख दूर कर देती है। गाय हमारे जीवन से जु़ड़ी है। उसके दूध से लेकर मूत्र तक का उपयोग किया जा रहा है। गौमूत्र से बनने वाली दवाएँ बीमारियों को दूर करने के लिए रामबाण मानी जाती है।
रोज सुबह गौ दर्शन हो जाए तो समझ लें कि दिन सुधर गया, क्योंकि गौ-दर्शन के बाद और किसी के दर्शन की आवश्यकता नहीं रह जाती। लोग अपने लिए आलीशान इमारतें बना रहे हैं यदि इतना धन कमाने वाले अपनी कमाई का एक हिस्सा भी गौ सेवा और उसकी रक्षा के लिए खर्च करें तो गौमाता उनकी रक्षा करेगी। इसलिए गौ दर्शन सबसे सर्वोत्तम माना जाता है।
गाय और ब्राह्मण कभी साथ नहीं छोड़ते हैं लेकिन आज के लोगों ने दोनों का ही साथ छोड़ दिया है। जब पांडव वन जा रहे थे तो उन्होंने भी गाय और ब्राह्मण का साथ माँगा था। समय के बदलते दौर में राम, कृष्ण और परशुराम आते रहे और उन्होंने भी गायों और संतों के उद्धार का काम किया। इसकी बड़ी महिमा सूरदास और तुलसीदास ने गौ कथा का वर्णन किया है।
लोग दृश्य देवी की पूजा नहीं करते और अदृश्य देवता की तलाश में भटकते रहते हैं। उनको नहीं मालूम की भविष्य में बड़ी समस्याओं का हल भी गाय से मिलने वाले उत्पादों से मिल सकता है। आने वाले दिनों में संकट के समय गौमाता ही लोगों की रक्षा करेंगी। इस सच्चाई से लोग अनजान हैं।