श्री बद्रीनाथ धाम ,नटवाड़ा

Natwara, Newai(Tonk), 304021
श्री बद्रीनाथ धाम ,नटवाड़ा श्री बद्रीनाथ धाम ,नटवाड़ा is one of the popular Brand located in Natwara ,Newai(Tonk) listed under Organization in Newai(Tonk) ,

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More about श्री बद्रीनाथ धाम ,नटवाड़ा

1. मन्दिर स्थापना का संक्षिप्त इतिहास :-
आज से लगभग 1250-1300 वर्ष पूर्व श्री बद्रीनाथ जी की मूर्ति की स्थापना मारवाड़ के एक गुंसाई भक्त श्री अर्जुनदासजी एवं पराना गांव के एक जाट भक्त द्वारा की गई बताते हैं। जन श्रुतियों के आधार पर कहा जाता है कि उक्त दोनों श्री बद्री विशाल के परम भक्त थे। वे प्रतिवर्ष साथ-साथ पैदल यात्रा करते हुए बीहड़ जंगलों से होकर अपने आराध्य देव श्री बद्रीनाथ जी के दर्शनार्थ बद्रीकाश्रम(उत्तराखंड) जाया करते थे। कालांतर में जब वृ) हो गए तो वृदावस्था की कारण क्षीण काया से वे लंबी यात्रा करने में असमर्थ महसूस करने लगे तो अपने आराध्य देव श्री बद्रीनाथ जी के हाथ जोड़कर प्रार्थना की कि भगवान अब हम बूढ़े हो गए हैं, अब इस वर्ष यह हमारी अंतिम दर्शन है, अब हम दर्शनार्थ उत्तराखंड नहीं आ सकेंगे। तो भगवान बद्रीनाथजी भक्तों की भावना से अभिभूत होकर सपनों में उन्हें दर्शन देकर कहा कि मेरी एक मूर्ति तप्त कुंड में है। जिस कुंड में मेरी मूर्ति है, वहां तुम्हे फूल तेरता हुआ मिलेगा। तुम उसे निकालकर अपने साथ ले चलना और उसे ऐसे स्थान पर विराजमान करना जहां मलेच्छो का शासन ना हो।

दोनों भक्तों ने मूर्ति के साथ वापसी यात्रा करते हुए निवाई के कुण्ड़ो पर विश्राम किया वह रवाना होने लगे तो मूर्ति इतनी भारी हो गई की मारवाड़ के भक्त श्री अर्जुनदासजी से मूर्ति उठी ही नहीं। उन्होंने भगवान से प्रार्थना की, है, प्रभु आप तो वहां से तो आ गये अब आगे क्यों नहीं चल रहे हो। तब भगवान ने कहा भविष्य में मारवाड़ पर मलेच्छो का आधिपत्य होगा, गोहत्या व हिंदू धर्म का क्षय होगा। मेरी स्थापना इसी क्षेत्र में करो ।
पराना निवासी दूसरे जाट भक्त के साथ है मूर्ति लेकर पराना गांव आ गये व मंदिर निर्माण प्रारंभ कर दिया। परंतु वहां भी दिनभर मंदिर निर्माण का कार्य करते और रात में ढ़ह जाता। जब उन्होंने भगवान से अपनी त्रुटि की क्षमा-याचना कर पूछा तो भगवान ने दर्शाया कि भविष्य में यहां पर मलेच्छो का शासन होगा।

यहां से एक कोस पूर्व-दक्षिण में एक छोटी तलाई है जहां पर पीलू पेड़ और पाल पर केर का वृक्ष है। उसी जगह भगवान नाटेश्वर का पवित्र स्थान है। तुम उसी जगह मेरी स्थापना करो। वह स्थान भविष्य में कभी भी विधर्मियों के आधिपत्य में नहीं रहेगा।

अंततः नाटेश्वर नगरी नटवारा में मंदिर का निर्माण किया गया। जब तक मंदिर का निर्माण चलता रहा प्रतिदिन एक सोने का सिक्का मिलता रहा। श्री बद्री विशाल के हर मंदिर में भगवान शंकर की स्वमेव(स्वयंभू) मूर्ति प्रकट हुई, जिसकी पूजा आज भी भगवान के निर्देशानुसार श्री बद्रीनाथ जी से पहले की जाती है, स्थापना से लेकर आज तक अनवरत मंदिर में अखंड ज्योति प्रज्वलित है, इसके लिए देसी घी की व्यवस्था सभी गांव वाले घी उघाकर करते आ रहे हैं

2. मन्दिर का स्थानीय विवरण :-
राजस्थान प्रांत के टोंक जिले की निवाई तहसील के ग्राम नटवाड़ा(नाटेश्वर नगरी) में यह मंदिर ग्राम के ईशान कोण में स्थित है। भगवान श्री बद्री विशाल के काले रंग की प्रतिमा पद्मासन में उच्च सिंहासन पर पश्चिम में देखते हुए विराजमान है। गर्भगृह में भगवान शंकर स्वमेव(स्वयंभू) प्रकट हुए हैं। ठीक सामने गरुड़ स्तंभ है जिस पर हाथ जोड़े हुये गरुड़ जी महाराज की मूर्ति स्थापित है। मंदिर के दाएं और दक्षिण मुखी हनुमान जी का मंदिर है। मंदिर का शिखर बहुत ही सुंदर बना हुआ है और जो दूर से दिखाई देता है। अक्षय तृतीया( आखातीज) के पावन पर्व पर दूज के दिन इस स्थानीय भक्तों के साथ साथ आसपास के गांवों के हजारों नर-नारी इकट्ठा होकर समारोह के रूप में ठिकाना नटवाड़ा द्वारा शिखर पर झंडा फहराते हैं। ध्वजारोहण के तुरन्त बाद शिखर पर बैठने वाले पक्षियों के आधार पर आगामी संवत्सर का शकुन देखा जाता है जो हमेशा सच्चा साबित होता आया है।


3. मन्दिर की स्थापत्य कला :-
मंदिर लगभग 1250-1300 वर्ष पुराना है। 16 खंभों पर बने भव्य मंदिर से लगता है कि मंदिर का गर्भगृह है जहाँ उच्च सिंहासन पर भगवान बद्रीविशाल की प्रतिमा विराजमान है। नीचे स्वमेव(स्वयंभू) शंकर भगवान(नाटेश्वर महादेव) का शिवलिंग प्रतिस्थापित है। गर्भ ग्रह पर भव्य शिखर बना हुआ है जिस पर स्वर्ण पालिस युक्त कलश चढ़े हुए हैं।

मंदिर में पहले फर्शी(पत्थर) लगे हुए थे उन को हटाकर रानी साहिबा भाटिया जी कोटखावदा ने मकराना जड़वाया था। मकराना फर्शी के बीच बीच में चांदी के सिक्के जड़े हुए है।

मंदिर की सेवा पूजा हेतु ठिकाना नटवाड़ा, सिरस, ईशारदा, पीपल्या, आदि ने जमीन दान में दी। यहां तक की ग्राम पराना में टोंक के नवाब ने मुसलमान होते हुए भी उनके चमत्कार से प्रभावित होकर जमीन दान में दी।


4. मन्दिर का सम्प्रदाय :-
मंदिर वैष्णव धर्म संप्रदाय से संबंधित है। श्री बद्रीकाश्रम की तरह यहां पर भी सेवा-पूजा आजीवन ब्रह्मचारी रहने वाले पुजारी ही करते हैं। यहां पर श्रद्धालुओं द्वारा सेवा पूजा हेतु पुजारी अर्पित करने की परंपरा है।
भगवान में अटूट आस्था रखने वाले भक्त लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर यहां सेवा पूजा हेतु अपनी संतान को अर्पण कर देते हैं और वह चढ़ाया हुआ पुजारी बनता है। जीवन पर्यंत ब्रहमचारी रहता है व मंदिर में ही रहकर ही सेवा पूजा करता है। प्राचीन समय में चेलों(पुजारियों) की संख्या अधिक हो जाने पर प्रबंधन हेतु महंत परंपरा बनी जो आज तक चली आ रही है।

5. मंदिर में आस्था रखने वाले भक्तजनों का विवरण :-
मंदिर में आस्था रखने वाले भक्त सर्व समाज के लोग है। भगवान बद्रीनाथजी नटवाड़ा ग्राम के आराध्य देव है ही साथ ही साथ क्षेत्रीय गांवों- पराना,शुक्लपुरा,हतौना, देवली, भाँची, चिरौंज, मंडावर, सीतारामपुरा, कंवरपुरा, शिवाड़, ईसरदा, महापुरा, टापुर, सारसोप, मेहताबपुरा, पीपल्या, भैरोगंज, श्योसिंहपुरा, मौजा, बूरियों का खेड़ा, नला, बरौनी, पहाड़ी हरचंदेड़ा, आदि दर्जनों गांवों के सर्व समाज के लोग मंदिर में अटूट आस्था रखते हैं।
भक्त इतनी अटूट आस्था रखते हैं कि यदि किसी भक्त कोख नहीं चलती तो वे भगवान को प्रार्थना करते हैं कि है! भगवान मेरी कोख चालू कर दो, मेरे प्रथम पुत्र को तुम्हारी सेवा में चढ़ाएंगे। ऐसे कई उदाहरण है उन भक्तों की कोख चालू हुई और उनके प्रथम संतान भगवान के चढ़ाई गई जिन्होंने जीवनभर ब्रह्मचारी रखकर भगवान की सेवा पूजा की। भगवान बद्रीविशाल टोंक जिले के आस्था और श्रद्धा के केंद्र है। मंदिर स्थापना से लेकर आज तक अखंड ज्योति भक्तों द्वारा चढ़ाई जाने वाले देसी घी से अनवरत चल रही है।


6. श्री बद्रीनाथ धाम प्रबन्ध एवं विकास समिति /ट्रस्ट की स्थापना :-
मंदिर प्रबंधन में अव्यवस्थाओं के चलते समस्त ग्रामवासियों ने एक मीटिंग कर 11 अप्रैल 1998 को उक्त संस्था का गठन करने का निर्णय किया जिसका पंजीयन श्री श्रीमान सहायक आयुक्त देवस्थान विभाग अजमेर में किया कराया गया।
ट्रस्ट द्वारा अब तक निम्न कार्य करवाए गए हैः
मंदिर ट्रस्ट में प्रतिवर्ष लगातार वार्षिकोत्सव अक्षय तृतीया महोत्सव आयोजित करता आ रहा है
हरि कीर्तन रामधुनी नियमित जारी है ।
हर अमावस्या एवं पूर्णिमा को जागरण लगातार किए जा रहे हैं ।
ढ़ाई वर्ष तक लगातार अखंड रामायण पाठ चलाए गए।
मंदिर प्रचार प्रसार हेतु पद यात्राओं का आयोजन किया जाता है।
ट्रस्ट द्वारा आय व्यय का संपूर्ण विवरण यथा (केशबुक, वाउचर फाइल, बैंक खाता) रखा जाता है, हिसाब-किताब सार्वजनिक किया जाता है। चार्टेट अकाउंटेंट द्वारा प्रतिवर्ष हिसाब ऑडिट कराया जाता है।

Map of श्री बद्रीनाथ धाम ,नटवाड़ा