Subash Ayurvedic Clinic

Badyal Morh, R.S. PURA, Jammu, 181102
Subash Ayurvedic Clinic Subash Ayurvedic Clinic is one of the popular Hindu Temple located in Badyal Morh, R.S. PURA ,Jammu listed under Professional services in Jammu , Hospital/clinic in Jammu ,

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More about Subash Ayurvedic Clinic

कमजोर सेहत (दुबलापन)
अक्सर देखने में आता है कि कुछ लोग पतलेपन से परेशान रहते हैं और कुछ लोग मोटापे से। पतला होना कोई रोग नहीं है। मगर यह दुबलापन अक्सर लोगों को परेशान करता है। पतलेपन से पीडि़त लोग अपने आप में स्वास्थ होकर भी अस्वास्थ महसूस करते हैं। कुछ ऐसे दुबले-पतले होते हैं जिन्हें अपने दुबलेपन से सख्त शिकायत रहती है। वे निराश एवं हताश होते हैं। उनका आत्म विश्वास एवं व्यक्तित्व दवा कुचला रहता है। वह हमेशा अपने आप में हीन भावना महसूस करते हैं।
प्रायः दो प्रकार के दुबले-पतले लोग होते हैं।
एक तो वे लोग जिन्हें किसी तरह की कोई बिमारी नहीं होती, चुस्त, दुरूस्त तथा तन्दुरूस्त होते हैं। इन लोगों की कद-काठी जन्म तथा स्वभाव से छरहरी होती है।
दुसरे तरह के वे लोग होते हैं। जिन के दुबलेपन का कारण विभिन्न बीमारियां होती है। इन में अक्सर देखने में आता है कि यह लोग कमजोर, अशक्त, सांस फूलना, कार्य एवं जीवन के प्रति अरूचि रखते हैं।
पतलापन चाहे किसी भी कारण से हो इसे दूर किया जा सकता है। इसके लिए हमारे पास ऐसी औषधि है कि किसी भी कारण सेहत न बनती हो। खाया-पिया न लगता हो, अन्दरूनी या शरीरिक कमजोरी से व्यक्त्वि में फर्क आ गया हो तो इसे दूर किया जा सकता है। हमारी दवा से आप के शरीर को खुराक लगेगी। चेहरे पर लाली आ जायेगी। आप के शरीर का पूर्ण रूप से विकास होगा। आप के व्यक्त्तिव में चार चांद लग जाएगे।

सेहत बनायें: किसी भी कारण सेहत न बनती हो। खाया पिया न लगता हो, अन्दरूनी या शरीरिक कमजोरी से ------ में फर्क आ गया हो तो इसके सेहत बनाने का स्पैशल स्ट्रांग ईलाज।

मोटापा
जिस तरह दुबलापन आदमी को हीन-भावना का शिकार बना देता है। ठीक उसी तरह मोटापा भी व्यक्ति में हीन-भावना पेदा करता है। मोटापा मन को तो पीड़ा देता ही है साथ में शरीरिक कष्ट भी देता है। यहां मोटापे के कारण शरीर के सारे अंग बेडौल, थुल-थुले दिखते हैं। मोटापे से अंगों में व्यर्थ की चर्बी तथा विजातीय पदार्थो का जमाव होने लगता है। शरीर बेडौल, कुरूप, मोटा तथा भ्ददा लगता है। वहीं इस से कई तरह की परेशानियां पैदा हो जाती है जैसे हृदय रोग, उच्च रक्तचाप मधुमेह, दमा, सांधिवात, खून की कमी या गठिया आदि विभिन्न रोग पैदा हो जाते हैं। मोटापे से व्यक्ति को सुन्दरता व तेज जाता रहता है।
मोटापे को दो भागों में बांटा जा सकता है।पहले तरह का मोटापा भोजन तथा पाचन संस्थान को गड़बड़ी से जुड़ा है। दुसरी तरह का मोटापा मस्तिष्क को गांठ, संक्रमण तथा आघात से जुड़ा है।
पिटयूटरी, थायराॅयड, ओवरीज, पैक्रियास, एड्रिनल अंतसावी ग्रंाथि में विकृति भी मोटापे का कारण बनती है। शरीर में जगह-जगह चर्बी की गांठ जमा होकर लाइपोमाटोसिस मोटापा पैदा करती है।
मोटापे को रोका जा सकता है।
मोटापा किसी भी उम्र या किसी भी कारण से पैदा हुआ हो, इसे कम किया जा सकता है। मोटापे को रोक कर आने वाले दिनों में होने वाली परेशानि से बचा जा सकता है। इसलिए हमारे ईलाज द्वारा शरीर में बड़ी हुई चर्बी को दूर करके शरीर को सुडौल और स्वस्थ बनाया जा सकता है। इस ईलाज से शरीर पर किसी तरह का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता न ही इस से शरीर में किसी तरह की कमजोरी आती है।

मोटापा दूर करें: इिसके प्रयोग से फालतू चर्बी दूर हो जाती है तथा शरीर सुडोल और स्वस्थ बन जाता है। इससे न तो काई शरीरिक कमजोरी आती है। और न ही इसका साईड इफैक्ट है।

सफेद दाग
सफेद दाग से पीडि़त रोगी एक तरह से ऐसा जीवन व्यतीत कर रहा होता है जैसे की कोई किसी जुर्म की सजा काट रहा है। यह एक ऐसा रोग है जिस से शरीरिक कष्ट नहीं होता बल्कि मानसिक कष्ट होता है। सफेद दाग के रोगी से हर कोई कन्नी काटता नजर आता है। इस रोग से पीडि़त व्यक्ति हर वक्त हीन भावना में जीता है। अगर तो यह दाग शरीर के ऐसे भाग पर हैं यहां यह कपडे़ से ढ़के रहते हैं तो यह व्यक्ति को कम परेशान करता है। अगर यह दाग चेहरे पर या हाथ-पांव पर है यहां यह सामने नजर आते हैं तो यह रोगी की चिन्ता बढ़ा देते हैं। इन्हीं दागों की वजह से कई युवा जीवन भर कुवारे रह जाते हैं उनकी शादी नहीं हो पाती। देखने में साधारण सा लगने वाला यह रोग छोटे से दाग से शुरू हो कर धीरे-धीरे पूरे शरीर पर फैल जाता है। जो कि देखने पर बहुत ही बुरा लगता है। अधिक तर लोग इसे छूत का रोग मानते हैं। इसलिए समाज इसे बुरी नजर से देखता है। सफेद दाग होने की वजह ‘‘मिलेनिनं’’ नामक पदार्थ है जो कि त्वचा का रंग निर्धारित करता है। जो कि शरीर में बनना बंद हो जाता है। यह शरीर में क्यों बनना बंद हो जाता है। इस का अभी तक ज्ञान नहीं हो पाया है। लेकिन फिर भी माना जाता है कि यह रोग मछली खाने के बाद दूध पीने की वजह या खट्टा आदि खाने से हो जाता है। या कैलिशम आदि दूध से लेने पर हो जाता है।
वक्त रहते इस का ईलाज करने से इस को रोका जा सकता है। शुरू से ही इस का ईलाज करा लेना चाहिए ताकि आप को इस से परेशानी न हो सके। यह रोग हठीला होता है इसे ठीक होने में थोड़ा समय जरूर लगता है मगर यह रोग मिटाया जा सकता है। हमारे पास इस का पक्का ईलाज है। हमारे ईलाज से सफेद दाग ऊपर से मिट कर शरीरिक चमड़ी के असल रंग से मिल जाता है।

सफेद दाग नाशक: दवा के सेवन से सफेद दाग ऊपर से मिटकर शरीरिक चमड़ी के असल रंग से मिल जाता है।

जोडों का दर्द
जोड़ों का दर्द, जोड़ों का पथरा जाना, धुटने दर्द, पीठ का दर्द, पट्ठो का दर्द आदि रोग किसी भी उम्र या किसी भी वर्ग के लोगों को हो सकते हैं। जोड़ों की कड़ी लचीली हड्डी में कुछ अज्ञात कारणों से ऊतकों के निष्क्रिय होने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। जिसके कारण जोड़ों को साइनोवियल सिल्ली में सूजन आ जाती है। यह लगातार बढ़ती जाती है, जिस कारण जोड़ों कि सामान्य संरचना छिन्न-भिन्न हो जाती है। ‘सोनोसोडियम यूरेट’ नामक रसायन जोड़ों पर जमा होने लगता है। जिससे समन्य क्रियाओं में बाधक आने लगती है। इस रोग की वजह से व्यक्ति को चलने फिरने से लेकर बैठने तक भी मुश्किल हो जाती है। आदमी दर्दों से परेशान हो जाता है। रोगी कई जगह से ईलाज लेने के बाद भी ठीक नहीं हो पाता। ज्यादातर तो यह होता है कि रोगी जब तक दवा लेता रहता है। तब तक दर्दों को आराम रहता है। जब दवा लेना बंद करता है। रोग अपनी पुरानी स्थिति में लोट आता है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस का पूर्ण ईलाज है, जो कि इस रोग को जड़ से मिटा कर रोग को हमेशा-हमेशा के लिए खत्म कर देता है। पुराने से पुरान गठिया का दर्द, प्रातः कालीन ऐठंन, जोड़ों का दर्द, चोट लगे का दर्द, घुटने का दर्द, कलाई का दर्द, कोहनी का दर्द, पीठ का दर्द, गर्दन का दर्द, ऐंड़ी का दर्द, कंधा दर्द, हड्डी एवं मासपेशियों में किसी भी कारण से आये दर्द का ईलाज संभव है।

जोडों का दर्द नाशक: दवा से भाई पुरानी से पुरानी कमर दर्द, पट्ठो का दर्द, अकरण का सफल स्पैशल स्ट्रांग।

अविक्सित वक्ष
औरतों की सुंदरता को चार चांद लगाने की अहम भूमिका निवाते है वक्ष (स्तन)। आदर्श वक्ष (स्तन) वही माने जाते हैं जो कसावदार, उभरे हुए, कठोर, गोलाकार और संतुलित हो। थुल थुले, ढीले, लटकते हुए असंतुलित, बेढ़व और छोटे (अविक्सित) स्तनों को कोई भी पसंद नहीं करता। इसलिए जरूरी हो जाता है कि विशेष तौर पर स्तनों का खास ध्यान रखा जाए। ताकि आप को लोगों के सामने शर्मिंदा न होना पडे़। यहां तक देखा गया है कि महिलाएं खुद भी अविकिसत वक्षों को पसंद नहीं करती हैं।
मनोवैज्ञानिक शोध द्वारा यह पता चला है कि पुरूष आज भी महिला के सभी गुणों में से उस की शरीरिक सुंदरता को प्राथमिकता देता है। सभी महिलाओं के लिए उनके वक्षस्थल उन की सुन्दरता का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। पूर्ण विक्सित व ऊवार लिए वक्षस्थल से ही महिला के आत्म विश्वास में बेशुमार इजाफा होता है व समाज में इज्जत मिलती है। अवक्सित वक्षों के कारणों में इन की ओर प्रयाप्त ध्यान नहीं देना ही है। अगर इन की तरफ ध्यान रखा जाए तो इन को सुन्दर व आकर्षित बनाया जा सकता है। हमारे द्वारा तैयार दवा से महिलाये अविक्सित वक्षों को विकिसत कर, सुडौल बना कर अपने-आप को आकर्षित बना सकती है। वक्षों (स्तनों) का ढ़ीलापन भी समाप्त हो जाता है और सौन्दर्य में चार चांद लग जाते हैं
अविक्सित अंग उभारे, ढीलापन को संवारे।

वक्ष सौन्दर्य चिकित्सा: महिलायें अविक्सित वक्षों को विकसित कर, सुडौल बनाकर अपने आपको आकर्षित बना सकती है। वक्ष का ढ़ीलापन भी समाप्त हो जाता र्है। और सौन्दर्य में चार चांद लग जाते है।

बाल गिरना
स्वस्थ, सुन्दर, काले, लम्बे, घने बालों की तुलना सावन के मौसम से की जाती है। असल में स्वस्थ, सुन्दर, काले बाल ही खूबसूरती को एक विशेष आययाम प्रदान करते हैं और साथ ही हमारे अन्दर आत्मविश्वास भी पैदा करते हैं। यही कारण है कि बाल स्वस्थ, सुन्दर व काले होने पर भी बुढ़ापे में भी आदमी अपने आप को जवान समझता है और बाल रूखे-सूखे बेजान, सफेद और टूटने पर जवान व्यक्ति भी अपने आप को बूढ़ा महसूस करता है। हम देखते हैं कि आज हर तीसरा व्यक्ति बाल गिरने, सफेद होने या गंजेपन से पीडि़त है। सिर के बालों पर एक नजर डालें तो हमें ज्ञात होता है कि सिर की ऊपरी त्वचा पर जो बाल होते हैं उन की जडे़ अंदर गहराई तक जाती हैं और बाल की जंड के सिरे पर एक गोल थैली होती है। जिसे ‘हेपर पैपिया’ कहते हैं। बालों को पोषक तत्व यहीं से प्राप्त होता हैं। बालों का बढ़ना बालों का सुन्दर होना, चमक-दमक और बालों का स्वस्थय शरीर की आंतारिक क्रिया प्रणाली से अनुशासित होता है। बालों को लम्बा, घना, काला आदि बनाने के चक्कर में हम बिना सोचे-समझे कई प्रकार के तेल, शैम्पू व साबुन आदि लगाना शुरू कर देते हैं जो कि हमारे बालों को लाभ के वजाय हानि पहुंचता है। जिससे शरीर के बाल झड़ना शुरू हो जाते हैं। बालों के झड़ने में आदमी का खान-पान, रहन-सहन और मानसिक तनाव भी शामिल होता है।
बालों को गिरने से रोका जा सकता है और लम्बे, घने व काले चमक दार भी हो सकते हैं। इस के लिए आप को इन की ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही हमारे द्वारा तैयार दवा का सेवन भी जरूरी है।

बाल गिरना: बाल गिरना, बाल टूटना, बाल काले करना, खाने व लगाने का स्पैशल स्ट्रंाग कोर्स ।

बवासीर
दुनिया का हर तीसरा व्यक्ति आज बवासीर रोग से पीडि़त है। यह एक ऐसा रोग है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह आदमी को न जीने देता है और न मरने देता है। इस रोग से ग्रस्त रोगी बहुत परेशान हो जाता है। यह रोग मलद्वार एवं गुदा के अन्दर अथवा बाहर हीमोरायडल नसों के अनावश्यक फैलाव के कारण होता है।
इस रोग का प्रमुख कारण कब्ज माना जाता है। यह ऐसा रोग है जो नारी व पुरूषों में समान रूप से पाया जाता है। यह बहुत ही कष्टदायक रोग दो प्रकार का होता है। एक बादी दूसरा खूनी। बादी बवासीर से खूनी बवासीर ज्यादा परेशानी देती है।
मेरे पास अक्सर दोनों तरह के रोगी आते हैं। दोंनों तरह के रोगी समान रूप से ही परेशान होते हैं। इस रोग को ज्यादा देर छुपाया नहीं जा सकता। क्योंकि आप इसे जितना छुपाने की कोशिश करते हैं यह उतना ही बढ़ता जाता है। यहां तक हो सके इसका जल्दी से जल्दी ईलाज करा लेना चाहिए। ताकि ज्यादा कष्ट पाने से बचा जा सके।
हमारी एक सलाह और है आप को यहां तक हो सके इस के ईलाज के लिए इंजैक्शन व आप्रेशन से बचना चाहिए। क्योंकि रोग इंजैक्शन व आप्रेशन से दुबारा हो जाने का खतरा बना रहता है।
इस रोग के लिए हमने एक खास तरह से नुस्खा तैयार किया जो आप के रोग को स्मूल नष्ट कर सकता है। और कई होने वाली परेशानियों से छुटकारा दिला सकता है।

बवासीर नाशक बवासीर चाहे कितनी भी पुरानी क्यों न हो, बिना इंजैक्शन, आप्रेशन, कामयाब ईलाज। खाने व लगने का स्पैशल स्ट्राग कोर्स।

पथरी
शरीर में पथरी बनना एक आम बात हो गई है। यह रोग अत्यन्त पुराना माना जाता है। कहा जाता है कि मिस्र के पिरापिड़ों में दफनाई गयी ममी (व्यक्ति का मृत शरीर जिसे विभिन्न लेप लगा कर सुरक्षित रख लिया जाता है) मै सात हजार साल पुराने पथरी के इतिहास मिले हैं।
हमारे देश में लाखों व्यक्तियों को पथरी है। ज्यादातर रोगियों का आप्रेशन कर दिया जाता है। यह पथरी पिताशय में हो सकती है या गुर्दें में यह बहुत ही कष्टदायक रोग है। यह रोग स्त्री व पुरूषों को समान रूप से होता है। इसकी असहानियां पीड़ा से रोगी धीरे-धीरे कमजोर, कृश्काय होता है। कभी-कभी तो पीड़ा इतनी बढ़ जाती है कि रोगी बेहाल हो जाता है। उसे लगता है कि अब बच पाना मुश्किल है। पथरी शरीर में एक से लेकर कई छोटे या बडे़ अकारों में हो सकती है। यह शरीर में बढ़ती ही रहती है।
कई मामलोें में देखा गया है कि आप्रेशन के बाद भी दुबारा पथरी बनना शुरू हो जाती है। अगर इस का उपचार आयुर्वेदिक दवाओं से कराया जाये तो ज्यादा बेहतर है।
इन दवाओं से शरीर पर कोई दुरप्रभाव भी नहीं पड़ता और रोग भी ठीक हो जाता है। रोग ठीक हो जाने पर परहेज अवश्य करते रहना चाहिए। ताकि दुबारा इस रोग से दो-चार न होना पडे़।

पथरी नाशक ईलाज पथरी गुदों में हो या मसाना में कुछ ही दिनों में बाहर निकल जाती है। बिना आप्रेशन हानि रहित कोर्स।

दमा
दमा एक ऐसा रोग है जो बच्चों से लेकर बूढ़ों तक और औरतों व पुरूषों को समान रूप से होता है। इस रोग के लिए कोई आयु-सीमा नहीं है। यह रोग किसी भी मौसम में हो सकता है हमारे फेफड़ों में वायु का संचार करने वाली अनेक नलिकाओं का जाल बिछा होता है जो छोटी-छोटी माँसपेशियों से ढकी रहती हैं। इन्हीं माँसपेशियों में जब आक्षेप, अकड़न, तनाव, ऐंठन या सिकुड़ाव पैदा होता है तब सांस लेने में कठिनाई होने लगती है। सांस कठिनाई से लेने का नाम ही है- दमा, अस्थम व श्वास रोग। पुरानी खांसी भी दमें का रूप धारण कर लेती है। ऐसा माना जाता है कि ज्यादातर रोगियों को यह रोग अपने पूर्वजों से उपहार स्वरूप मिलता है। या ऐसे लोग जो लम्बे समय तक श्वास नलिका संबंधी रोगों से पीडि़त रहते हैं वह भी इस रोग के शिकार हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह जीवन भर साथ निभाता है। मगर ऐसा नहीं है इस रोग को ठीक किया जा सकता है। इस रोग से हमेशा-हमेशा के लिए छुटकारा हासिल किया जा सकता है। यह रोग किसी भी आम या किसी भी वर्ग के रोगी को हो सकता है। इस रोग का पूर्ण निदान किया जाता है। इस रोग से पीडि़त व्यक्ति स्वस्थ होकर जीवन हंसी-खुशी जी सकता है।

दमा नाशक ईलाज: पुराने दमें का स्पैशल स्ट्रांग ईलाज।

मधुमेह
बिन बुलाया मेहमान जो चुपचाप कब शरीर में आ कर अपना घर बना लेता है पता ही नहीं चलता। जी हां हम बात कर रहें है शुगर यानि मधुमेह की। यह एक ऐसा हठीला रोग है जिस का होने का पता ही नहीं चलता। हम डाक्टर के पास जाते हैं किसी और बिमारी का ईलाज करवाने। वहाँ जा कर पता चलता है कि हमें तो मधुमेह रोग हो गया हैं।
इस रोग का पता हमें तभी पता चलता है जब हम रक्त या पेशाब की जांच करवाते हें। यह एक ऐसा हठीला व जटिल रोग है जो एक बार हो जाने पर आसानी से ठीक नहीं होता। रोगी दिन-व-दिन कमजोर होता जाता है।
इस रोग के आ जाने से रोगी और भी बिमारियों से घिर जाता है। यहां तक छोटी सी चोट भी एक बड़ा घाव बन जाती है और ठीक होने का नाम नहीं लेता। इस रोग की वजह से आदमी का खान-पान, रहन-सहन सब अस्त-व्यस्त हो जाता है। शुगर का असर रोगी पर इस कद्र होता कि वह मानसिक तौर पर भी परेशान रहने लगता हे। क्योंकि शुगर की मात्रा बढ़ने से रोगी का मुख सुखने लगता है। मूत्र अधिक मात्रा में आता है।
कोई भी बिमारी जल्दी पकड़ लेती है और आसानी से ठीक नहीं होती है।
यहां तक हो सके इस रोग के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा ही अपनानी चाहिए। ऐलोपैथी चिकित्सा में इसका कोई कारगर इलाज नहीं है।

मधुमेह नाशक स्पैशल स्ट्रांग ईलाज शुगर कन्ट्रोल करने का स्पैशल स्ट्रांग कोर्स ।

लिकोरिया (सफेद पानी)
हमारे देश में 90 प्रतिशत औरतों में लिकोरिया रोग की शिकायत पाई जाती है। यह एक ऐसा रोग है जो औरतों का दुश्मन माना जाता है। यह एक तरह से ऐसा है जैसे चन्द्रमा को लगने वाला ग्रह। यह रोग प्रत्येक उम्र की औरतों को हो सकता है। लिकोरिया औरतों के स्वास्थ्य एवं सौन्दर्य का दुश्मन है। इस रोग में स्त्री की योनि में से श्वेत रंग का पीलापन लिए हुए तरल निकलता है, जिसमें कभी दुर्गन्ध भी होती है। इस रोग का कारण स्थाई कमजोरी, रक्त की कमी, गर्भाशय शोथ, मिलाप की अधिकता, सुजाक या अतिशक, रज अवरोध, गम और गुस्सा अथवा डर के कारण भी यह रोग हो सकता है।
इस रोग की वजह से कमर में दर्द, पेडू में बोझ और दर्द, बार-बार पेशाब आता है। मासिक धर्म भी कष्ट से आता है। काम-काज में रूची नहीं लगती, रोग की अवस्था में गर्भ भी नहीं ठहरता। औरतों का चेहरा तेजहीन हो जाता है। चेहरे पर कील, दाग व झाईया पड़ जाती है।
यह एक प्रकार का हठीलां व जटिल रोग है। यह इतनी आसानी से पीछा नहीं छोड़ता जितनी आसानी से यह रोग लग जाता है। इस रोग के कारण शरीर में कई तरह की और भी कई रोग लग जाते हैं। इस रोग का ईलाज हमारे पास सब से कारगर हे। जिससे कुछ ही देर इस्तेमाल करके इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है। इस रोग की ज्यादा पुरानी अवस्था का भी ईलाज संभव है।

दवाए लिकोरिया स्त्रियों को पानी पड़ना, स्त्रियों की सुन्दरता का शुत्र है जिससे स्वस्थ भी दिन प्रतिदिन गिरता जाता है और भी कई तरह की बिमारिया पैदा हो जाती है। स्पैशल स्ट्रांग कोर्स।

शादी से पहले या बाद की कमजोरी
युवा हमेशा बचपन में कई तरह की गलतियां कर देते हैं जिस का उन्हें बाद में पश्तावा होता है। अक्सर यह देखा जाता है कि संगति का प्रभाव सभी पर पड़ता है। अच्छी बात का असर देर से होता है जबकि बुरी बात का असर बहुत जल्दी होता है। जवानी में व्यक्ति का मन कोमल भावनाओं से घिरा रहता है। जब युवक घर से बाहर निकलता है तो वह स्वच्छंद हो जाता है। ऐसी दशा में वह बहुत जल्दी लड़की की ओर खींच जाता है। जब वह राह चलती सुंदर लड़कियों को देखता है तो उसके शरीर में सैक्स की भावनाएं पैदा होने लगती है। उसके शरीर में एक गुदगुदी होती है। तो दूसरी और तनाव भरने लगता है। स्कूल-काॅलेज के संगी साथियों के मेल के कारण वह गलत संगत में पड़ जाता है। दूसरी गलत आदतों के साथ-साथ वह हस्तमैथुन की आदत भी डाल लेता है। क्षणिक आनंद के लिए वह इस क्रिया को दोहराता है। जिससे वह कच्ची उम्र में ही अपना सत्यानाश कर लेता है। फिर युवक मिलाप ठीक से नहीं कर पाता। समय से पूर्व ही वीर्यपात हो जाता है। लैंगिक कमजोरी या मैथुन शक्ति बिल्कुल समाप्त हो जाती है। स्वप्नदोष और शुक्रप्रमेह दोनों पुरूष शक्ति के अभाव के चिन्ह है। अन्तर केवल इतना है कि स्वप्न दोष कमजोरी की शुरूआत है और शुक्रप्रमेह अन्तिम चिन्ह है। इस तरह से रोगी कमजोरी का शिकार हो जाता है। रोगी सुस्त, कमजोर, कम हिम्मत और चिड़चिड़ा हो जाता है। मुख पीला, दृष्टि कमजोर, हाथ-पाँव ठण्डें, सिर, कमर और पिण्डलियों में दर्द होने लगता है। दुसरे शब्दों में कहें तो एक तरह से रोगी नपुंसक हो जाता है। वह शादी के नाम से भी डरने लगते हैं। अगर शादी हो गई तो वह बीबी के पास जाने से डरता है। क्योंकि उसके लिंग में उतेजना नहीं आती। अगर आती भी है तो मात्रा कुछ क्षणों के लिए जैसे ही वह औरत के पास जाता है तो उस का वीर्यपात हो जाता है और सारी उत्तेजना समाप्त हो जाती है। वह अपनी पत्नी से आँखे भी नहीं मिला पाता। वह अपने -आप में लज्जा महसूस करता है। नपुंसकता की वजह से कईयों का तलाक तक हो जाता है।
शादी के पहले या शादी के बाद आई कमजोरी का पूर्ण ईलाज करा कर सफल जीवन जीया जा सकता है। अपनी खोई हुई ताकत व मर्दानगी दुवारा हासिल की जा सकती है।

कमजोरी नाशक ईलाज: यह दवा स्तम्भं व शक्ति को कई गुणा बढा देती है। इससे नई उमंग, नया जोश, नई जवानी उत्पन्न होती है। स्पैशल स्ट्रांग ईलाज एक सप्ताह कोर्स।

कद न बढ़ना
कद न बढ़ना भी एक तरह से शरीर का पूरी तरह से विकास न हो पाना ही है। बचपन में सही तरह से पालन-पोषण न होना ही इसका कारण माना जा सकता है। बचपन में जटिल बिमारियां भी इस का एक कारण हो सकती है।
यह अनुवांशिक भी माना जाता है। छोटा कद भी हीन भावना का शिकार बना देता है। जिस से युवा वर्ग परेशान हो जाता है। वह अपने आप को लम्बा करने के लिए कई तरह के ढंग सोचने लगता है। पर उस का उसके शरीर पर कोई खास असर देखने में नहीं आता है।
ज्यादातर उनके लिए परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं। जो युवा पैरा फोर्स में जाना चाहते हैं। कद एक हद तक बढ़ाया जा सकता है। हमारे पास इसकी दवा उपलब्ध है जो व्यक्ति का कद बढ़ाने में कारगार साबित हुई है। इस दवा के सेवन से व्यक्ति का कद काफी हद तक बढ़ सकता है।

कद बढाने का खास ईलाज: तीन महीने में कद एक से तीन सेंटीमीटर तक लम्बा करने का कामयाब स्पैशल स्ट्रांग कोर्स एक सप्ताह का।

कील, मुहांसे, दाग, झाईयां
चेहरा आदमी का आईना होता है और अगर आईने पर दाग-धब्बे पड़ जाये तो देखने में बुरा लगता है। देखने में आता है कि जब योवन आने लगता है तो चेहरे पर कील, मुहांसे होने लगते हैं। यह यौवन आने के लक्षण माने जाते हैं कईयों के चेहरे पर इस कद्र बढ़ जाते हैं कि चेहरे पर कील ही कील नजर आते हैं जो बाद में काले दागों का रूप ले लेते हैं। चेहरे पर काले दाग, झाईयां, मुहांसे, कील से शरीरिक कष्ट तो नहीं होता मगर यह चेहरे की सुन्दरता को खत्म कर देते हैं चेहरा इतना कुरूप कर देते हैं कि रोगी खुद ही अपने चेहरे से नफरत करने लगता है। इस से चेहरे की ताजगी, निखार और मन मोहकता भी जाती रहती है। यह रोग योवन आने पर ही नहीं अपितु अधिक गर्मी में रहना, देर से पचने वाली तथा गली-सड़ी चीजों का प्रयोग, लड़कियों में मासिक धर्म की रूकावट, विवाहिता स्त्रियों में गर्भ के दिनों में यह रोग हो जाता है। कई बार देखा गया है कि माँस, शराब, अण्डा आदि के अधिक प्रयोग से भी यह रोग हो जाता है। शुरू में रोगी इस रोग की ओर ध्यान नहीं देता है। जब पूरा चेहरा इसकी चपेट में आ जाता है तो रोगी फिर इस का ईलाज अपनी सोच के मुताबक क्रीम, साबुन या लोशन आदि लेकर करना शुरू करता है। जो कई त्वचा को नुकसान पहुंचने लगता है।
जिससे रोग ठीक होने के वजाय ज्यादा बिगड़ता जाता है। रोगी परेशान हो जाता है। कई डाक्टरों से ईलाज लेने के बाद भी ठीक नहीं होता तो हार कर घर बैठ जाता है। यह सोच कर कि अब यह ठीक नहीं होगे। मगर हमारे पास है इसका आयुर्वेदिक ईलाज जिसे अपना कर आप इस रोग से मुक्ति हासिल कर सकते हैं।

चेहरा निखर ईलाज: बहुत से भाई-बहने जो चेहरे के कष्टों से काले थे अब गौरे हो गए है। दवा के प्रयोग से मुख के दाग धब्बे काले दाग, मुंहासे साफ करके चेहरे का रंग गोरा कर देता हैै। खाने व लगाने का एक सप्ताह का कोर्स।

नशा
नशा नशा ही होता है। चाहे वह किसी भी वस्तु का किया जाये। मगर शराब, अफीम, चरस, गाँजा, भांग और तम्माकू का नशा ज्यादा खतरनाक माना जाता है। यह नशे आदमी की सेहत के साथ-साथ व्यक्ति के घर-परिवार को भी खत्म कर देते हैं। यहां यह शरीर को हानी करता है वही यह आप का पैसा भी बर्बाद करता है। नशे की लत से कई घर टूटते देखे हैं और कई जिंदगीयां खत्म होती देखी है। शुरू में शौंक से लिया गया नशा कब व्यक्ति की गर्दन की फांस बन जाता है पता ही नहीं चलता।
नशेड़ी व्यक्ति न घर में इज्जत पाता है और न ही समाज में उसे हर कोई घृणा भरी नजरों से देखता है। शुरू में व्यक्ति नशा अपनी शान बढ़ाने के लिए यारों दोस्तों के कहने पर, पड़ोसियों को देख कर केवल यह देखने के लिए लेता है कि नशे का मजा क्या है। धीरे-धीरे व्यक्ति इस का आदि हो जाता है। फिर चाह कर भी आदमी नशा नहीं छोड़ सकता। नशा न छुटने की वजह से वह मानसिक तौर पर बिमार रहने लगता है।
इसी के चलते वह कई ऐसे कदम उठा लेता है जो उस के लिए व उसके परिवार के लिए घातक सिद्ध होते हैं।
हमारे पास आने वाले लोगों में यह भावना होती है कि वह किसी न किसी तरह इस दलदल से निकल सकें। उनकी थोड़ी सी इच्छा शक्ति ही उन्हें नशें से दूर कर देती है। जिससे वह फिर समाज में इज्जत मान पा लेते हैं।

शराब छुडाने का स्पैशल ईलाज: रोगी को बिना बताए शराब छुड़ाने का सरल ईलाज। जो हमने बहुत ही खास मरीज के घर वालो को नजर में रख कर बनाया है इससे पुराने से पुराना शरीबी भी शराब छोड़ देता है। दस दिन का कोर्स।

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