ओ वृषभान की लाडली... अब मेरी और निहार..।। " ">नाम महाधन है अपनों, नहीं दूसरी सम्पति और कमानी! छोड़ अटारी अटा जग के, अपनी कुटिया बृज में ही बनानी!!
टूक मिले रसिकों के सदा, और पीवन को यमुना जल पानी! हम औरन की परवाह नहीं, अपनी ठकुरानी श्री राधिका रानी!!
राधे राधे