Shri Kangra Jain Shwetambar Tirth

Kangra Fort Jain Dharmashala, Opp. Kangra Kila, Purana Kangra, Kangra, 176002
Shri Kangra Jain Shwetambar Tirth Shri Kangra Jain Shwetambar Tirth is one of the popular Religious Organization located in Kangra Fort Jain Dharmashala, Opp. Kangra Kila, Purana Kangra ,Kangra listed under Church/religious organization in Kangra , Religious Organization in Kangra ,

Contact Details & Working Hours

More about Shri Kangra Jain Shwetambar Tirth

काँगड़ा, हिमाचल प्रदेश का एक पर्वतीय मनोरम स्थान है। श्री कांगड़ा जैन श्वेताम्बर तीर्थ लगभग 5000 वर्ष प्राचीन, 22वें तीर्थंकर परमात्मा नेमिनाथ जी के समय का महिमावंत तीर्थ है। प्रकृति की गोद में बसे इस तीर्थ की स्थापना चंद्रवंशीय महाराजा सुशर्मचंद्र ने महाभारत के समय के आसपास करवाई थी।

किसी समय में यह क्षेत्र काफी समृद्ध था। यहाँ कई जिन मंदिर थे व विपुल संख्या में जैन धर्मावलंबी भी थे। पर कालांतर में किन्हीं कारणों से, जैसे सन् 1905 के आसपास आये भूकंप व राजकीय स्तिथि के कारण से भी यहाँ के मंदिर लोप होते चले गए। काँगड़ा किले में जैन मंदिरों के अवशेष यहाँ पर जैन धर्म के गौरवशाली इतिहास की दास्ताँ बयान करते हैं। किसी समय अपनी प्रसिद्धि के शिखर पर रहा यह तीर्थ काल के थपेड़ों की वजह से विस्मृत हो गया था।

मुनि श्री जिन विजय जी ने पाटण (गुजरात) के ग्रन्थ भण्डारों का संशोधन कार्य करते हुए इस प्राचीन तीर्थ के इतिहास के बारे में जाना और इसकी विस्तृत खोज की। आचार्य श्री विजय वल्लभ सुरिश्वर जी महाराज और आचार्य श्री विजय समुद्र सुरिश्वर जी महाराज के प्रयत्नों से इस तीर्थ के पुनरुद्धार के प्रयासों को बल मिला। इन्हीं की प्रेरणा से साध्वी मृगावती श्री जी ने इस तीर्थ को पुनः जीवंत करने का बीड़ा उठाया।

वर्तमान में यहाँ केवल प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ भगवान की श्याम वर्ण की 39.5 इंच ऊंची जटाधारी प्रतिमा ही दृष्टिगोचर होती है। यह प्रतिमा अत्यंत नेत्रानंदकारी और अद्वित्य है। एक समय तक यह प्रतिमा काँगड़ा के विशाल किले में एक छोटे से कमरे में रही व यह स्थान सरकार के कब्ज़े में था। स्थानीय लोग इस प्रतिमा को भैरव देव कह कर पुकारते थे व तेल और सिन्दूर चढ़ा कर इसकी पूजा अर्चना करते थे। साध्वी श्री मृगावती जी के अनथक प्रयासों, उनके मनोबल, तपोबल और जप-बल के परिणामस्वरूप इस प्रतिमा की जैन पद्धति से पूजा सेवा करने का अधिकार जैनों को सन् 1978 में मिला।

काँगड़ा किले की तलहटी के पास ही जैन श्वेताम्बर समाज द्वारा एक भूखंड प्राप्त किया गया, जहाँ पर सर्वसुविधायुक्त धर्मशाला, भोजनशाला व नूतन जिनमंदिर का निर्माण किया गया। तलहटी के इस जिनमंदिर में मूलनायक परमात्मा प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान हैं, जिनकी प्रतिमा 500 वर्ष प्राचीन है व विश्वप्रसिद्ध राणकपुर तीर्थ से आई है। इस मंदिर की प्रतिष्ठा आचार्य श्री विजय इंद्रदिन्न सुरिश्वर जी महाराज की निश्रा में सन् 1990 में संपन्न हुई।

यह तीर्थ अत्यंत शांत, एकांत व् रमणीय स्थान पर है। सौन्दर्यमण्डित पहाड़ियों से घिरे, कल कल करती नदी के किनारे, काँगड़ा की घाटी में स्थित यह तीर्थ ध्यान-साधना और जप-तप के लिए अनुकूल स्थान है।
हर वर्ष होली के त्यौहार पर यहाँ मेला लगता है।

तीर्थ पर पहुंचने के लिए: इस तीर्थ पर सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह तीर्थ होशियारपुर (पंजाब) से 100 कि०मी० की दूरी पर है, लुधियाना से 170 कि०मी०, जालंधर से 143 कि०मी० और पठानकोट से 90 कि०मी० दूर है।

तीर्थ का पता: श्री काँगड़ा जैन श्वेताम्बर तीर्थ, पुराना काँगड़ा, काँगड़ा किला के सामने, काँगड़ा (हिमाचल प्रदेश) 176001

Map of Shri Kangra Jain Shwetambar Tirth