श्रीआनन्दपुर कुछेक भवनो का ही नाम नहीं,ये है‘‘अध्यात्मिक उन्नति हेतु महान सिद्धांतो का समूह’’जी हां ऐसे सिद्धांत जिनमे कर्म त्यागने की नहीं, कर्म फल की आसक्ति त्यागने की प्रेरणा समायी है। तभी तो यहाँ के सभी साधक कर्मयोगी बनकर सेवा में संलग्न है। कोई तो भोजन बनाने का कार्य ,तो कोई वाहन चालक बनकर यात्रियों की सेवा में संलग्न दिखाई पड़ते है। इनमें डाक्टर भी हैं, और कम्प्यूटर-तकनीशयन भी हैं। ये सेवाए किसी वेतन की आशा में नहीं अपितु निष्काम भाव से की जाती हैं।श्री दरबार से अध्यात्मिक उन्नति हेतु निर्धारित पांच नियम-
1- श्री आरती- (उपासनयोग)
2- सत्संग- (ज्ञानयोग)
3- सेवा- (कर्मयोग)
4- सुमिरण- (ध्यानयोग)
5- दर्शन- (प्रेमयोग)