हमारे प्रतिष्ठान पर मिलने वाली सभी सामग्रियां श्रीनाथजी मन्दिर का भोग लगा हुआ अधिकृत (Official) महाप्रसाद है.
श्रीनाथजी मन्दिर में मन्दिर के बाहर से किसी भी प्रकार का तैयार प्रसाद भोग नहीं लगाया जाता.
मन्दिर में भोग लगाया जाने वाला सभी महाप्रसाद मन्दिर के अन्दर सेवा करने वाले सेवकों द्वारा ही सिद्ध (तैयार) कर श्रीनाथजी को अरोगाया (भोग लगाया) जाता है.
ठाकुरजी की सेवा करने वाले उन सभी सेवकों को उनकी सेवा के प्रतिफल (पारिश्रमिक, वेतन) के रूप में यह (ठाकुरजी को भोग लगा हुआ) महाप्रसाद ही दिया जाता है.
केवल महाप्रसाद खाने से जीवनयापन संभव नहीं और यदि वे स्वयं इसे बेचेंगे तो सेवा कब और कैसे करेंगे ?
अतः अपने पारिवारिक एवं सामाजिक दायित्वों के निर्वहन हेतु आवश्यक धन की पूर्ति के लिए सभी सेवक मन्दिर के अधिकृत (Offical) प्रसाद विक्रेताओं से अनुबंधित रहते हैं.
मन्दिर के सभी सेवकों को मिलने वाला वह महाप्रसाद हम मन्दिर के अधिकृत (Official) प्रसादिया (प्रसाद विक्रेता) क्रय करते (खरीदते) हैं और उनको नियत धनराशि प्रदान करते हैं.
इससे उनके पारिवारिक व सामाजिक दायित्वों का निर्वहन भी आसानी से होता है और सामान्यजन को ठाकुरजी का भोग लगा हुआ सभी प्रकार का अधिकृत (Official) महाप्रसाद उचित दरों पर उपलब्ध हो जाता है.
श्रीनाथजी के सेवकों को महाप्रसाद वितरण की उपरोक्त व्यवस्था वर्षों पूर्व परमपूज्य प्रभुचरण श्री गुसांईजी द्वारा प्रारंभ की हुई है और सभी अधिकृत (Official) प्रसाद विक्रेताओं की दुकानें लगभग 100 - 150 से भी अधिक वर्षों से वैष्णवों को प्रभु श्रीनाथजी का भोग लगा हुआ अधिकृत (Official) महाप्रसाद उपलब्ध करा रही हैं.