सवर्ण समाज महासभा (अराजनैतिक) राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकृत संस्था है। जिसका प्रमुखतम उदेश्य "जातिगत आरक्षण" के स्थान पर 'आर्थिक आरक्षण लाए जाने के लिए संघर्ष करना है। किसी भी दल या संस्था का विरोध न करते हुए संविधान सम्मत न्याय पूर्ण 'समानता का अधिकार प्राप्त करने के लिए सभी से सार्थक सहयोग की अपेक्षा सहित निवेदन करते हैं कि धन साधनहीन भारत के गरीब नागरिकों को शिक्षणप्रशिक्षण दिलाकर योग्य नागरिक बनाया जाय, जिससे आर्थिक रूप से पिछडे़ अनारक्षितों और वंचितो ं को भी स्वतंत्रता मिलने का आभास हो सके। चुनाव में वोट लेने के लिए हर गरीबों का हितैषी हो जाता है । गरीबों के हित में लम्बी चौड़ी नीतियों की हवार्इ घोषणाएं चुनाव बाद दम तोड़ती नजर आती है।
आरक्षितों का जमीनी सर्वे करके देख लिया जाय तो सत्य का पता चलेगा कि ऊँचे पदों पर बैठे आरक्षिताें के बेटे-बेटियाँ और सम्बन्धी ही आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं। इसी समाज का गरीब व्यकित मु ँह देखता रह जाता है। यह 'क्रीमी लेयर दलितों में भी दलित बना रही है। आर्थिक आरक्षण लागू होने पर जातीयता के स्थान पर समाज के पिछड़े गरीब वर्ग का लाभ होगा, वह चाहे किसी जाति, धर्म, वर्ग, लिंग या क्षेत्र का हो।
यधपि हम जानते है कि यह साधारण संघर्ष नहीं है परन्तु स्वाभाविक न्याय और भारतीय संविधान की मूल भावना के अनुसार समस्त वंचित समाज के सहयोग से अवश्य लक्ष्य प्राप्त करेगी, इस आशा एवं विश्वास के साथ 'कर्म ही पूजा है को मान्यता देती है। जातीय आरक्षण कब तक रहेगा कोर्इ समय सीमा निशिचत नहीं है जिससे अनारक्षित वर्ग में अनिशिचत व्याकुलता दिखार्इ देने लगी है। बु़िद्ध जीवियो और क्रियाशीलों का वर्ग इस से असहमत हो कर महासभा की विचार धारा से सहमत है और संगठन में सक्रिय योगदान को तत्पर है। विचारणीय है कि यदि जातीय आरक्षण जो पिछले पैंसठ वर्षों से चल रहा है और सन 2020 तक के लिए चलने हेतु संसद द्वारा प्रस्तावित है। पूरी संभावना है कि आगे भी संसद द्वारा इसे समय विस्तार दिया जायेगा यदि अनारक्षित और वंचित वर्ग द्वारा संशोधन हेतु प्रयास न किया गया। संशोधन हेतु प्रयास करने का यह उपयुक्त समय हैं सन 2014 में लोकसभा आम चुनाव प्रस्तावित है, जिसमे जातीय आरक्षण में संशोधन कराने का दबाब बनाना 'महासभा का मुख्य मिशन और लक्ष्य होगा। जिसमें पूरी ताकत से सहयोग करना प्रत्येक का नैतिक दायित्व होगा।