संत कबीर नगर जिला उत्तरी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य 70 जिलों में से एक है। खलीलाबाद शहर जिला मुख्यालय है संत कबीर नगर जिला बस्ती मंडल का एक हिस्सा है। यह जिला उत्तर में सिद्धार्थ नगर और महाराजगंज जिलों से पूर्व में गोरखपुर जिले से दक्षिण में अम्बेडकर नगर जिले से और पश्चिम में बस्ती जिला द्वारा घिरा है। इस जिले का क्षेत्रफल 1659.15 वर्ग किलोमीटर है। बखीरा, हैंसर, मगहर और धनघटा आदि यहां के प्रमुख स्थलों में से हैं। घाघरा, कुआनो और राप्ती यहां की प्रमुख नदियां है।
संत कबीर नगर जिला 5 सितंबर 1997 को बनाया गया था नए जिले में बस्ती जिले के तत्कालीन बस्ती तहसील के 131 गांवों और सिद्धार्थ नगर जिले के तत्कालीन बांसी तहसील के 161 गांवों शामिल थे। 5 सितंबर 1997 से पहले यह बस्ती जिले का तहसील था।
महादेव मंदिर :- खलीलाबाद से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित तामा गांव में महादेव मंदिर स्थित है। यह मंदिर भगवान तामेश्वर नाथ को समर्पित है। लोककथा के अनुसार मंदिर में स्थित मूर्ति तामा के समीप स्थित जंगल से प्राप्त हुई थी। राजा बंसी द्वारा इस प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया गया था। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। काफी संख्या में भक्त इस मेले में सम्मिलित होते हैं।
मगहर :- यह शहर जिला मुख्यालय के दक्षिण-पश्चिम में लगभग सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह वही स्थान है जहां संत कवि कबीर की मृत्यु हुई थी। इस जगह पर संत कवि कबीर की एक समाधि और एक मस्जिद स्थित है। इस मस्जिद में हिन्दू और मुसलमान दोनों ही पूरी श्रद्धा के साथ यहां आते हैं। 1567 में नवाब फिदाय खान ने इस मस्जिद का पुनर्निर्माण करवाया था।
बखीरा :- यह जगह गोरखपुर जिले से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। विशेष रूप से यह जगह विशाल मोती झील के लिए जानी जाती है। माना जाता है कि इस झील का नाम नवाब सादत अली खान ने रखा था। सादत अली कभी-कभार इस जगह पर शिकार करने के लिए आया करते थे। बखीरा में लगने वाला बाजार भी काफी प्रसिद्ध है। इस बाजार में पीतल और कांसे से जुड़े काम की मांग सबसे अधिक रहती है। इसी कारण मिर्जापुर, वाराणसी और मुरादाबाद आदि जगहों से थोक विक्रेता इस जगह पर खरीददारी के लिए आते हैं।
खलीलाबाद :- खलीलाबाद, संत कबीर नगर जिले का मुख्यालय है। इस जगह की स्थापना काजी खलील-उर-रहमान ने की थी। उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम खलीलाबाद रखा गया था। वर्तमान समय में यह जगह विशेष रूप से हाथ से बने कपड़ों के बाजार के लिए प्रसिद्ध है। इस बाजार को बरधाहिया बाजार के नाम से जाना जाता है।
हैंसर :- प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय में हैंसर, सूर्यवंशी लाल जगत बहादुर से सम्बन्धित था। स्वतंत्रता संग्राम में लाल जगत बहादुर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रत्येक मंगलवार और शुक्रवार के दिन यहां साप्ताहिक बाजार लगता है। इस जगह का क्षेत्रफल केवल 91.4 हैक्टेयर है।
हशेश्वरनाथ मंदिर :-खलीलाबाद से तीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैंसर गांव में महादेव जी का मंदिर हशेश्वरनाथ धाम स्थित है। यह मंदिर भगवान तामेश्वर नाथ को समर्पित है। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। काफी संख्या में भक्त इस मेले में सम्मिलित होते हैं।
धर्मसिंहवा बाजार :-धर्मसिंहवा बाजार संतकबीर नगर का बहुत ही पुराना कस्बा है| मेहदावल तहसील मे स्थित इस कस्बे की कुल आबादी लगभग 8000 की है| यहा पर मौजूद पुरातात्विक अवशेष आज भी अपने अस्तित्व को पाने के लिये तरस रहे है| बताया जाता है कि गौतम बुद्ध जब सत्य की खोज के लिये जा रहे थे, तो वे यहाँ पर रूक कर विश्राम किये थे |यहा एक बोद्धस्तूप भी मौजूद है| यह कस्बा जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर जनपद के उत्तरी सीमा पर स्थित है| इस कस्बे से दो किमी के दूरी के बाद जनपद सिद्धार्थ नगर की सीमा शूरू हो जाती है| धर्मसिंहवा मे थाना, बैंक, इन्टर कालेज, होम्योपैथिक अस्पताल,व विमलेश त्रिपाठी द्वारा संचालित सहज जन सेवा केंद्र मौजूद है|
अमरडोभा'लेडुआ महुआ अमरडोभा संतकबीर नगर का एक तारीखी कसबा है यह एक बुनकरों का मुख्य असथान है!इस की कुल आबादी लगभग 10000 की है। जिसमें 75% के लगभग मुसलिम समुदाय के लोग है। यहाँ का गमछा बहुत मशहूर है। यहाँ हैनडलोम बहुत है जिससे गमछा चादर धोती कुरता और लुनगी यदि चीजें बनाई जाती है। यहाँ एक अरबी फारसी मदरसा बोर्ड उत्तर प्रदेश से मान्यता प्राप्त दारुलउलूम अहलेसुंनत तनवीरुल इस्लाम अमरडोभा डिग्री कालेज है। जिसमें हिन्दुस्तान के कई राज्य के बच्चे पढ़ते है। यहाँ बुधवार को बाजार लगता है जो इलाके का बड़ा बाजार है। यह कसबा जिला मुख्यालय से 18 कीमी के दूरी पर जनपद के उत्तर में है। यहाँ जोनियर हाई स्कूल, इनटर कालेज, सहज सेवा केंद्र, अस्पताल मौजूद हैं।