“माई ऐडा पूत जण जैडा राणा प्रताप अकबर सोतो उज के जाण सिराणे साँप”
“चार बांस चौबीस गज, अष्ट अंगुल प्रमाण
ता ऊपर सुलतान है, मत चूके चौहान”
जननी जने तो ऐडा जने के दाता के सुर ……
नितर राहिजे बान्झानी मति घमाजे नूर ….
राजपूतों की ऐसी कहानी है , कि राजपूत ही राजपूत कि निशानी है |
हम जब आये तो तुमको एहसास था , कि कोई एक शेर मेरे पास था ||
हम गरम खून के उबाल हैं , प्यासी नदियों की चाल हैं ,
हमारी गर्जना विन्ध्य पर्वतों से टकराती है और हिमालय की चोटी तक जाती है |
गर्व है हमें जिस माँ के पूत हैं , जीतो क्यूंकि हम राजपूत हैं |