प्रभु के दीवाने,रहस्यदर्शी गुरूदेव ओशेराजा
जीवन परिचय- प्रभु के दीवाने रहस्यदर्शी गुरूदेव ओशेराजा, गुरूओं के गुरू, परम गुरू ओशो के कृपापात्र शिष्य हैं । फरवरी 1997 में वे ओशो से जुडे और ध्यान साधना में संलग्न हुये । लगभग 14 साल बाद अक्टूम्बर 2011 में पहली बार ओशो ने उन्हें दर्शन दिये, और स्मरण दिलाया कि वे अध्यात्म मार्ग के राही हैं । ओर उन्हें बिना समय गंवाये उस राह पर आगे बढना है । वे नियमित ध्यान साधना करने लगे । ओशो की कृपा से कुछ ही दिनों में उन्हे ध्यान और समाधि के अनुठे अनुभव होना शुरू हुऐ । कुंडलिनी जागरण के साथ विराट ऊर्जा की आंधी का अनुभव उन्हें नित्यप्रति होने लगा । ओशो की (अशरीरी) उपस्थिती में उनके बताये अनुसार ध्यान प्रयोगों से वे साधना के नये नये आयामो से परिचित होने लगे । ओशो निरंतर उन्हें ध्यान, योग, समाधि, भक्ति, वेदांत, तंत्र सनातनधर्म, ज्योतिष, काव्य, कला, संगीत, साहित्य, आदि अनेक विषयों का ज्ञान देकर उनकी खूबियों विशेषताओं और उपलब्धियों से परिचित कराते रहे । ओशो उन्हें अध्यात्म मार्ग के सहयात्रियों के लिये मार्ग दर्शन का कार्य करने के लिये बार-बार प्रेरित करते रहे । अंततः ओशो की बात मानकर उन्होंने निमित्त (माध्यम, जरिया) बनना स्वीकार किया । ओशो ने उन्हें नाम दिया LOVERS OF GOD SHARING THE SECRETS OF GOD अर्थात प्रभु के दीवाने रहस्यदर्शी गुरूदेव । गुरूदेव ओशोराजा की स्वयं की आध्यात्मिक यात्रा अभी जारी है, साथ ही वे ओशो के बताये अनुसार लोगों का मार्ग दर्शन भी कर रहे हैं ।
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ओशोराजा फाउंडेशन, हरदा (म.प्र.)
मानव जागृति मिशन, हरदा (म.प्र.)
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