मेला श्री दाऊजी महाराज का परिचय
हाथरस ब्रज क्षेत्र के द्वार के रूप में प्रशिद्ध एक ऐतिहासिक ,सास्कृतिक एवं ओधोगिक नगरी है। हाथरस के इस ऐतिहासिक किले का निर्माण 1775 ई0 में राजा दयाराम द्वारा कराया गया था।किले पर विराजमान श्री दाऊजी महाराज का प्रसिद एवं पोरादिक मंदिर लगभग 242 वर्ष पुराना है।इस मंदिर का शिखर लगभग 100 फीट ऊँचा तथा 18x18 फीट चौड़ा है।अग्रेजी शाशन काल मे इस मंदिर को ध्वस्त करने का प्रयास भी किया गया ,जिसके परिणाम स्वरूप मंदिर के शिखर पर तोप के गोले के निशान आज भी विधमान है।तब से यह राष्ट्रीय अभिव्यक्ति का प्रतीक वन गया है।सन 1912 में किले पर स्थापित तहसील के तहसीलदार श्री श्यामलाल द्वारा श्री दाऊजी महाराज के चमत्कार से प्रेरित होकर इस ऐतिहासिक मेले का शुभारंभ किया गया ।तब से लेकर आज तक यह मेला ब्रज की कला एवं संस्क्रति के साथ साथ सम्पादयिक ,सद्भभाव के प्रतीक के रूप में प्रसिद है। यह मेला हिन्दू,मुस्लिम एकता की एक अनूठी मिसाल है।मेले में एक किनारे पर एक श्री दाऊजी महाराज का मंदिर है।बहि दूसरे किनारे पर काले खा का प्रसिद मजार है।