उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 120 किमी. दूर सरयू और राप्ती नदियों के मध्य स्थित गोंडा जनपद में स्थानीय प्रशासन द्वारा जिले को एक नई पहचान देने की मुहिम शुरू की गई है। ‘गोंडा महोत्सव’ भी इसी अभियान का एक हिस्सा है। गोंडा महोत्सव में स्थानीय प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए न केवल विविध लोक कलाओं पर केन्द्रित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, अपितु एक भब्य सद्भावना रैली भी निकाली जाती है। महोत्सव में हाकी, कबड्डी, वालीबाल जैसी खेल प्रतियोगिताओं से प्रतिभाओं की खोज की जाती है तथा लुप्त हो रही लोक कलाओं बिरहा, फरवाह नृत्य, आल्हा आदि के कलाकारों को मंच प्रदान करके इन्हें जीवित रखने का प्रयास भी किया जा रहा है। पांच दिवसीय गोंडा महोत्सव में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं कुलहिन्द मुशायरा होता है। प्रगति (प्रमोशन आफ रूरल एरियाज गेम्स एंड टैलेन्ट आइडेंटीफिकेशन) के बैनर तले राष्ट्रीय खेल दिवस पर जिले के 1,25,000 से अधिक बच्चों को खेल मैदान पर उतारकर इतिहास बनाने तथा ‘काफी विद कलेक्टर’ नामक अभिनव कार्यक्रम शुरू करके प्रशासन की सबसे छोटी इकाई के साथ सीधे संवाद स्थापित करके प्रशासनिक मशीनरी को गतिशील बनाने वाले गोंडा के युवा जिलाधिकारी/अध्यक्ष, गोंडा महोत्सव समिति आशुतोष निरंजन के कुशल मार्गदर्शन में इस वर्ष 11 से 15 दिसम्बर 2016 तक आयोजित होने वाले गोंडा महोत्सव को अपेक्षाकृत ज्यादा व्यवस्थित तरीके से कराने की तैयारी है। तो आएं और महोत्सव का आनंद लें।