श्री सनातन धर्म सभा, गीता भवन, देहरादून की स्थापना 1950 में हुई जिसके लिए भूमि की व्यवस्था त्यागमूर्ति ब्रह्मलीन गोस्वामी गणेश दत्त जी महाराज के द्वारा की गयी। गोस्वामी जी अपने सेवक (श्री शिवराम सेवक) 1956 तक इस मंदिर के निर्माण कार्य की देखरेख करते रहे तथा इसके लिए एक कार्यकारिणी का गठन किया।
1957 में श्री सरदारी लाल जी ओबेरॉय के श्री सनातन धर्म सभा, गीता भवन के सर्व सम्मति से प्रधान चुने जाने के पश्चात प्रभु जी की अपार कृपा, ओबेरॉय जी की सच्ची निष्ठां तथा कई कठिनाइयों का सामना करते हुए गीता भवन निरंतर उनत्ति की ओर अग्रसर हुआ और अब यह देहरादून का सबसे बड़ा धार्मिक स्थान माना गया है जिसमे विभिन्न देवी देवताओ के मंदिर स्थित है जिनको अति सुन्दर मूर्तियों एवं विश्व प्रसिद्ध कारीगरों द्वारा सुसज्जित किया गया है।
इसके अतिरिक्त संगमरमर लगा हुआ सत्संग भवन है जिसमे एक समय में 1000 से अधिक व्यक्ति संत महात्माओं के आध्यात्मिक तथा संस्कृत प्रवचनों से लाभ उठा सकते है इस सत्संग हॉल का शिलान्यास ब्रह्मतत्वेत्ता भहमलीन 1008 योगिराज देवराह बाबा जी महाराज के करकमलों द्वारा दिनांक 4 अप्रैल 1968 में किया गया।
श्री सनातन धर्म कन्या इंटर कालेज, यात्री/प्रयटको के ठहरने के लिए उत्तम स्वच्छ कमरे एवं संत महात्माओं ठहरने के लिए उचित व्यवस्था है।
संस्था के मुख्य उद्देश्य
प्राचीन संस्कृति उत्थान, धर्म प्रचार, शैक्षिक , नैतिक एवं सामाजिक एकता, समता, सद्भाव शांति की आवश्यकताओं की पूर्ती करना।
विशुद्ध आध्यात्मिक तथा संस्कृत प्रवचनों द्वारा जनता को सात पथ दिखने और
विश्व बंधुत्व की दिव्य धार्मिक भावना का प्रचार करना।
संत महात्माओं एवं अतिथियों की यथा संभव सेवा करना।
दीन दुखियो एवं निर्धन व विकलांगो के लिए प्रतिदिन दोपहर निशुल्क लंगर व्यवस्था।
निर्धन विद्यार्थिओं को आर्थिक सहयोग प्रदान करना।
शरद्कालीन ऋतू में संत महात्माओं /निर्धनो एवं विकलांगो को कम्बल वितरण करना
महत्वपूर्ण उत्सव जैसे श्रीराम नवमी , श्री कृष्णा जन्माष्टमी, शिवरात्रि एवं अन्य
हिन्दू त्यौहार आदि बड़ी धूमधाम व हर्षोल्हास से मानना।
सुख दुःख में प्रयोग हेतु बर्तन / बिस्तरों एवं दरियो आदि की व्यवस्था करना।
यात्रियों एवं प्रयटको के लिए निशुल्क रहने की सुविधा प्रदान करना।