हमें जानें
आज का भारत मुख्यतः दो हिस्सों में विभाजित है, गाँव एवँ शहर।
आज हम जिस भारतवर्ष को जानते हैं वो मुख्यतः गाँवों का देश रहा है
जिसकी अर्थव्यवस्था कृषि तथा पशुपालन पर निर्भर करती थी। आज भी
हमारे देश की 55-60% लोग कृषि एवं पशुपालन से ही अपनी जीविका
चलाते हैं, लेकिन आज ये औसत कम होता जा रहा है, इसलिये नहीं की
लोग और अच्छे सेवओं से जुड रहे हैं , बल्कि सिर्फ इसलिये क्योंकि वो
कृषि अथवा पशुपालन करके जिविकोपार्जन नहीं कर पा रहे हैं। इसी
कारण उन्हें शहरों के तरफ पलायन करना पर रहा है जहाँ उन्हें बहुत
कम मज़दूरी में भी काम करना पडता है। इन सबके पीछे कुछ कारण
निम्नलिखित है:
कृषि तथा पशुपालन के लिये समुचित जानकारी का अभाव।
सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थानों द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न
कार्यक्रमों तथा सहायता की जानकारी उन तक ना पहुँचना।
कृषि तथा पशुपालन के क्षेत्र में खुले बाज़ार का अभाव।
ग्रामीण छात्रों को उच्च शिक्षा संबंधी जानकरी का अभाव।
ग्रामीण क्षेत्र में बिचौलियों का बोलबाला।
इन सभी परेशानियों को देखते हुए हमने कुछ ऐसा करने की सोची है
जो खासकर गाँव मे रहने वालों के सभी समस्याओं का समाधान
निकाल सकें।
यह वेबसाईट न सिर्फ जानकारी प्रदान करेगा अपितु किसानों तथा
पशुपालकों के लिये एक ऐसा पलेटफोर्म तैयार करेगा जिससे किसानों
तथा पशुपालकों को अपने पशुओं तथा उत्पादों के लिये एक खुले बाज़ार
जैसा वातावरण मिलेगा जिससे वो अपने उत्पाद को सीधे उपभोकता
तक पहुंचा सकते हैं।
आज जहाँ सभी बड़े-बड़े व्यवसायी सिर्फ शहर के उपर अपना ध्यान
एकत्रित कर रहे हैं। यह वेबसाइट सिर्फ गाँव तथा गाँव में रहने वाले
लोगों के ज़रूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
इस वेबसाईट के द्वारा एक सपने को साकार करने की कोशिश की गई
है जिससे हमें किसानी तथा पशुपालन एक मजबूरी में मिला गया
व्यवसाय ना होकर एक उत्तम तथा लाभदायी व्यवसाय होगा और
जबतक हम इस सपने को साकार नहीं कर लेते तब तक हम विकसित
शहर का स्वपन पूरा नहीं कर सकते हैं। इस वेबसाईट का नाम cowwala
इसलिये रखा गया है क्योंकि गाय को हम कामधेनु भी कहते हैं, तथा
उनके बारे में यह मान्यता है की यह हमें सभी वाधित चीज़ें प्रदान कर
सकती है।
अन्य उपयोगिता: इस वेबसाईट के माध्यम से गाँव में रहने वाले कुशल
कारीगरों का एक सूची तैयार करना जिससे बाधित लोग सीधे कारीगर
तक पहुँच जाऐं। इसके कारण उन्हें लगातार रोज़गार मिलता रहेगा और
उन्हें पलायन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
सबसे महत्वपूर्ण उपयोगिता तब है जब किसी भी प्राकृतिक आपदा जैसे
सूखे, बाढ़ अथवा भूकंप से एक निश्चित एरिया प्रभावित हो तथा वहाँ के
किसान अपने पशुओं की देखभाल करने में असमर्थ हैं। उस समय उनके
पास ग्राहक (जो भी उस एरिया का होगा) नहीं होने के कारण उन्हें बहुत
हानी होती है। इस वेबसाईट के माध्यम से वो पशुपालक अपने पशुओं
का विवरण दूर दराज़ के लोगों तक पहुँचा सकते हैं जिससे उन्हें अच्छे
दाम मिल जायें तथा कम नुकसान हो।