क्या सच्चाई है धार के भोजशाला की?
आज से कुछ सौ साल पहले जब मुगलों का आतंक इस देश को रौंद रहा था, उससे बहुत पहले राजा भोज धार नगरी के राजा थे| उनके पुर्वजो के काल से राजा भोज ने इक विश्वस्तरीय भारतीय वांग्मय धर्म संस्कृत का विश्विद्यालय धार नगरी मे खोला था, जहाँ देश-विदेश के विद्यार्थियों के रहने भोजन और ज्ञान प्राप्त करने की व्यबस्था थी साथ ही ये माँ सरस्वती का मंदिर था जिसमे सनातन धर्म से जुड़े सारे श्रोत और श्लोक खुदे हुए थे| राजा भोज बहुत प्रतापी राजा थे| उन्होंने दक्षिण तक अपना राज्य कायम किया था| दुष्ट राजाओ को हरा कर प्रजा को सुख दिया था| धार के विजय मन्दिर और विजय स्तंभ इसका प्रमाण है| मुगलों ने मालवा तक अपना आतंकी राज कायम कर लिया था परन्तु धार की तरफ आँख उठाने का उनका साहस ना था| तो सुल्तान मोहम्मद गजनवी ने चाल चली| उसने अपने एक गुप्तचर को फकीर के भेष मे धार नगरी भेजा| उसने बड़े ही मीठे और रूहानी अंदाज मे राजा भोज से कहा कि मैं हिंदू धर्म का सम्मान करता हूँ और मै आपके विश्वबिद्यालय मे संस्कृत भाषा सीखना चाहता हूँ (गौर तलब रहे की इस्लाम में झूट बोलना हराम है पर जहा ये निर्बल पड़ते हैं या हारते हैं वहां ये "तकैयाह" का उपयोग करते हैं सामने वाले को भ्रमित करने के लिए)|
हिंदू राजाओ की ये बहुत बड़ी कमजोरी रही है की वो मीठा बोलने वालो पर जल्दी विश्वास कर लेते थे क्युकी मुगलों जैसा कल-छपट हिन्दू राजाओ में नहीं था और ऐसा ही राजा भोज के साथ हुआ| रजा भोज ने उस फकीर को सच्चा समझ कर उसे विश्वबिद्यालय मे प्रवेश दे दिया और फकीर ने कहा की मै तो बुड्ढा हू मुझे इसी विद्यालय मे निवास की सुबिधा दे दी जाये| अब फकीर रूपी बहरुपिए ने अपना जाल फैलाना शुरू किया| उसने गंदे ताबीज, छुआ-छूत और उपरी बाधा का भ्रम फैला करके कुछ गरीब परेसान लोगो को तथा कुछ वहां के मुसलमानों को कुल मिला कर उस समय २००० मुरीद (शिष्य) बना लिए| इधर राजा को भी मीठे बोलो (फकीर हो कर भी तकैयाह) से अपने विश्वास मे लिया रहा|
गौरवशाली राजा भोज
एक दिन उसने अपने गुप्तचरों को सुल्तान मोहम्मद गजनवी के पास संदेश भेजा कि वो धार पर आक्रमण कर दे| इधर उसने राजा भोज को कुछ बिशेष गुप्त बात बताने के बहाने अकेले अपने निवास पर बुलाया जो की उसे रहा भोज ने ही दिया था रहने के लिए| उसने पहले से सारे २००० लोगो को जो उसके अपने मुरीद थे इधर उधर छुपा रखा था| कमरे मे घुस ते ही उसने राजा भोज को अपने बलीस्ठ मुरीदो से पकडवा के मुह मे कपड़ा ठूस के गला दबा करके मार् डाला और एक फकीर के भेष में तकैयाह करते हुए एक नेक दिल राजा को मारने के बाद भी वो फकीर यही नहीं रुका बल्कि उसने सारे नगर मे घोषणा कर दी कि राजा भोज ने इस्लाम स्वीकार कर लिया है, कलमा पढ लिया है, अल्लाह ने उस पर नेमत कर उसे जन्नत मे जगह दी दी है| उसी समय मुगलों ने अचानक मलवे की फ़ौज लेकर जो मांडव के पास थी पहले से ही ताक मे थी इस अराजकता की स्थिति का फायदा उठा कर हमला कर दिया|
पुरे शहर मे कई दिनों तक हमारी हिन्दू माता-बहिनों के साथ निर्मम बलात्कार करते रहे ये मुग़ल आतताई| कमजोर और कायर लोगो को मुसलमान बनाया गया| सारे मंदिरों को मस्जिदों मे बदला गया| जो लोग मुकाबला ना कर सके वो मुगलों को अपने धन को देकर प्राण बचा सके| सुंदर लड़कियों को मुसलमान सरदार अपने आरामगाह मे ले गए, जो उन सुन्दर लडकियों से सरदारों की हवास पूरी होने के बाद काबुल के बाजारों मे महज २-४ रूपये मे बेच दी गयी क्युकी व्यभिचारी मुग़ल सरदारों का तो शौक पूरा हो चूका था और इनको इनके जैसा कायर नहीं बल्कि हिंदुवो सामान वीर और प्रतापी योद्धा चाहिए था इस लिए ..... |
आज भी धार की उस ज्ञानवापी मस्जिद, भोज शाला को मैं अपनी आँखों से देख कर आया हूँ वहां "ओम् नमः शिवाय", गणेश, देवी-देवताओं की मूर्तियाँ, संस्कृत में लिखे शिला लेख, श्लोक, श्रोत, शंख चक्र गदा पद्म, सर्प, स्वास्तिक, काल यन्त्र और भी नाना प्रकार के सनातन सस्कृति के यन्त्र देख कर आया हू| पर क्या इतनी चीजे हमारे देश की सरकार को नहीं दिखती हैं और आज भी उस पवित्र सरस्वती मंदिर को मस्जिद के रूप में दिखाया जा रहा है| वो तो भला हो हमारे हिंदूवादी संगठनो और कुछ हिंदुवो का जैसे की नरेन्द्र मोदी, साध्वी उमा भारती और सुब्रमनियन स्वामी जी की कोर्ट को वहां मंगलवार को हिंदुवो को हनुमान चालीसा का पाठ करने की छूट देनी पड़ी पर इसी अधिकार को पाने के लिए स्वतंत्र भारत मे ३२ हिन्दुओ को अपनी जान को बलिदान करना पड़ा|
माँ सरस्वती की मूर्ति जो की इंग्लैंड के संग्रहालय में रखी है
मगर आज भी माँ सरस्वती की मूर्ती जो अंगेज अपने साथ ले गए और अपने यहाँ संग्रहालय में रखा है उसे पाने का प्रयास जारी है पर इतना भी संभव हो पाया नरेन्द्र मोदी जी के कारण जिन्होंने इसके लिए आवाज उठाई सबसे पहले और भारत सरकार नहीं बल्कि सुब्रमनियन स्वामी जी ने इंग्लैंड के कोर्ट में केस दर्ज किया माँ सरस्वती की मूर्ति को वापस लाने के लिए|
मंदिर के बहार लगा सुचना पट्ट
मगर इतने सामने दिख रहे साक्ष्यों के बाद आज भी उस नगर के कट्टर पंथी जो उस समय अपने कायरता के चलते मुस्लमान बने थे उस मंदिर को सोपने तैयार नहीं है| बोट बैक की राजनीती हमारे धर्म स्थानों की रक्षा नहीं कर पाई| भोज शाला पर पुरातत्ब बिभाग का कब्जा बना हुआ है|
अब एक आज के दौर के असल मामले की तरफ आपका ध्यान खींचना चाहूँगा मै, मंगलवार को हिन्दू फ्री मे जा सकते है भोजशाला में, शुक्रवार को वहां नवाज होती है| मंगलवार जिस दिन वहां हनुमान चालीसा होती है उस दिन वहा केवल ४०-५० हिन्दू पहुंचाते हैं लेकिन शुक्रवार को जब नमाज होती है तो नमाज में ३००० लोग आते है| हम हिंदुवो के इसी उपेक्षा के चलते कुछ लोग वहां पर हिंदुवो के धर्म से जुड़े साक्ष्यों को मिटने में पुर्णतः लगे हुए हैं और अनवरत इस काम को किये जा रहे हैं ताकि वो मंदिर हमारा न हो पाए| साक्ष्यों को मिटाने की बात को लेकर फिर से कुछ हिंदूवादी संगठन आगे आए तब जा कर प्रशासन जागी और वहां सभी लोगों की चेकिंग करके अन्दर भेजा जाता है पर एक ही समय में ३००० लोगो की चेकिंग करना जब ये कट्टरपंथी जूतमपैजार किये रहते हैं अन्दर जाने के लिए क्युकी इनके इरादे नेक तो होते नहीं हैं इनको तो हमारे मंदिर के साक्ष्यों को मिटाने का जूनून स्वर होता है तब चेकिंग कितना सार्थक हो पाता होगा वो हम अंदाजा ही लगा सकते हैं
लोहे के खम्भे जैसे साँची के स्तूप में बने हैं
मेरा आप सभी हिन्दू बन्धुवों से अनुरोध है की आप लोग स्वयं भोजशाला जा कर सही स्थिति का अवलोकन करें|
जागो, उठो और अपना स्वाभिमान पाओ||
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