यह मंदिर पालमपुर से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। निर्माण शैली के आधार पर यह 10 वीं सदी का बना प्रतीत होता है…asthaदेवभूमि हिमाचल में अनेकों देवी देवताओं के मंदिर हैं। लोगों की इनमें अटूट आस्था व श्रद्धा है। ऐसा ही एक मंदिर हिमाचल के ऐतिहासिक स्थल कांगड़ा के सुप्रसिद्ध शक्तिपीठों में मां भाडल देवी का भी है। इसका पौराणिक नाम भद्रकाली था। इस देवी के नाम पर ही गांव का नाम भी भाडल देवी रखा गया है। यह मंदिर पालमपुर से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। निर्माण शैली के आधार पर यह 10वीं सदी का बना प्रतीत होता है। माना जाता है कि यहां के राजा घमंड चंद की कोई संतान नहीं थी। पुरोहितों के आग्रह पर राजा ने 108 कन्याओं को भोजन करवाया। तत्पश्चात राजा ने पुत्र प्राप्ति पर इस मंदिर का निर्माण करवाया था। मां भद्रकाली की स्थापना के समय मां को भेंट स्वरूप बलि चढ़ाई गई। इस प्रकार से एक लंबी अवधि तक बलि का सिलसिला जारी रहा, लेकिन वर्ष 2006 से इस कुप्रथा को बंद किया गया है। मंदिर गर्भ में दो पिंडियां स्थापित की गई हैं, जिनका नामकरण अंबिका व चंडिका के रूप में किया गया है। इसके साथ ही मां भद्रकाली की अष्टधातु की मूर्ति भी विद्यमान है। मां भद्रकाली भाडल देवी में लोगों की आस्था रोग निवारिणी के रूप में भी है। सुबह-शाम आरती के समय घंटियों की आवाज से पूरा गांव मंत्र मुग्ध हो जाता है। यहां से धौलाधार की पहाडि़यों की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। चाय के बड़े-बड़े बगान इस गांव की छवि को और मनोरम बना देते हैं। आसपास के विद्यालयों व महाविद्यालयों के छात्र-छात्राएं समय-समय पर कई सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी पेश करते रहते हैं। दूर-दूर से लोग मंदिर में अपनी मनोकामना लेकर आते हैं। कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर में आता है माता उसकी हर मुराद पूरी करती हैं। नवरात्र में लोगों की बहुत भारी भीड़ यहां जुटती है। मंदिर के साथ लगते हरे-भरे पेड़ मंदिर की शोभा में चार चांद लगाते हैं। प्रकृति का ऐसा वातावरण हर किसी के मन को मोह लेता है। पर्यटन की दृष्टि से यह बहुत ही रमणीक स्थल है। वैसे तो हिमाचल में अनेकों मंदिर हैं पर इस मंदिर की एक अलग ही बात है। यहां मां एक पिंडी रूप में विराजमान है। माता का स्वरूप हर किसी के मन को मोह लेता है। संतान प्राप्ति के इच्छुक लोग यहां आते हैं और माता के आगे नतमस्तक होते हैं। लोगों की इस मंदिर में गहरी आस्था है। ऐसा माना जाता है कि माता अपने भक्तों के कष्ट हर लेती हैं। अगर इस मंदिर की ओर सरकार ध्यान दे तो यह पर्यटन का साधन बन सकता है।January 31st, 2015
Only two Day Time
Sunday time 10:30 am to 12:00 am
Tuesday time DO
by: Ankush Pandit +919418291617 (Pujari)