सिरोही राजस्थान प्रान्त का एक शहर है।
सिरोहि जिले मे हाथल गाँव मे श्री ब्रह्माजी का मन्दिर का जीर्णॉद्धार हो रहा हे। यह मन्दिर १३५० साल पुराना है। मन्दिर के लिये सभी हाथलवासिओं ने बहुत परिश्रम किया हे। और इसमे दो-चा२ गाँव ने भी सहयोग दिया है। सिरोही- सिर और ओही का मतलब है सिर काटने कि हिम्मत रखने वाले. गुजरात के महान लेखक झवेरचन्द मेघाणी ने अपनी किताब सोराष्ट्र नी रसधार मे लिखा है सिरोही कि तलवार और लाहोर कि कटार. कहते है कि सिरोही मे ऐसी तलवार बनती थी जिसको पानी के प्रपात से तलवार को धार दी जाती थी। आज भी सिरोही कि तलवार प्रसिद्ध है। लेकिन आज कि भर्ष्ट राजनीति ने देश के बहुत सी धरोहर को कगार का वृक्ष बना दिया है। सिरोही से 15 किमी कि दुरी पर एक गाव है तेलपुर. कहते है पाडीव से कुछ देवडा राजपुतो ने आ कर तेलपुर बसाया था। वो लोग लडने मे तेज थे अतः सिरोही के महाराजा उनको तेज कह कर बुलाते थे। इसी लिये उस समय तेलपुर का नाम तेजपुर रखा था। लेकिन धीरे-धीरे कालंतर मे उस का नाम तेलपुर हो गया.