अखण्ड भारत-त्रैमासिक पत्रिका

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More about अखण्ड भारत-त्रैमासिक पत्रिका

सम्पादकीय -
गुलाम भारत के आजाद सिपाहियों को समर्पित यह पत्रिका जिसका एकमात्र उद्देश्य अखंड भारत का निर्माण है .वह भारत जो जाति ,धर्म,सम्प्रदाय से परे विश्व भारत हो जिसका एक मात्र धर्म और कर्म मानव सेवा हो ..भारत के शहीद राष्ट्रीय स्वाधीनता संघर्ष में एक नवीन युग के आदर्श प्रतिनिधि के रूप में महानतर है! शहादत का युग रहा स्वातन्त्र्य समर जब क्रांतिक आभा परिवर्तन के पहिये को गुलाम अंधेरो से आजाद सुबह की राह दिखाई ! चल पड़ा था बचपन का भारत, युवा भारत,कर्तव्य पथ का बुजुर्ग भारत क़ुरबानी की राह में इन्कलाब के स्वरों में ! महाभारत के शिखंडी का कुछ तो अस्तित्व था पर समकालीन भारत के शिखंडी तो सदा ही परजीवी रहे जो लहू छोस्ते रहे अपने ही माँ भारती भारत का !शहीदों के स्वप्न से यथार्थ की यात्रा में आज भारत कहाँ पंहुचा ?धर्म ,जाति,सत्ता स्वार्थ की तलवारों ने अखंड भारत को कहंद खंड किया है !देशी अंग्रेजो से उत्पीडित जनता को एक हो यह समझना होगा रोटी, कपडा, मकान, के जमीन पर स्वराज की स्थापना के पथ को जो आज के दौर में बेहद कठिन है !दुर्भाग्य से भारतीय क्रांति का बौद्धिक पक्ष हमेशा दुर्बल रहा,भावों की मजबूत इंकलाबी स्वरों ने गुलामी की दीवार तो ढहा दी मजबूत भारत की नीव को खोखला करने वाले दीमको से अपने भारत को बचा नहीं पाए !एक ओर आजादी की अधूरी इमारत एक और गुलामी की आसमानी इबादत ,सोचिये कहाँ जा रहा हमारा भारत ! आज भारत बड़ी द्रुत गति से गतिशील है दुर्गति के पथ पर पल पल लगातार अनियत चाल से !
क्रांति का अर्थ है -महान परिवर्तन !यह परिवर्तन राज्य.समाज,और चिंतन के क्षेत्र में हो सकता है! क्रांति के लिए तलवार नहीं विचार चाहिए !अपने नीजिपन को ख़त्म कर व्यक्तिगत आराम के सपनो को छोड़कर एक एक कदम आगे बढे राष्ट्रवाद के कठिन पथ पर तभी राष्ट्र निर्माण में आपका बहुमूल्य योगदान फलीभूत होगा !अपनी सभ्यता व् संस्कृति की जड़ो से जुड़े रहे, जब राष्ट की जड़े मजबूत होंगी राष्ट्र का
सर्वांगी विकाश होगा ! ज्ञान गंगा का तट विश्वगुरु भारत आज आभाहीन होता जा रहा, जरा देखिये जापान और चीन जैसे राष्ट्रों को जिनकी अपनी एक भाषा है अपना एक संस्कार है, भारत विविधता में एक्यता लेकर क्यों उलझा हुआ है, कारण साफ़ है कि भारत का अपना कोई भाषा या संस्कार ना रहा ,दम तोड़ रही है भारतियता और हमें भारतीय होने पर नाज है ! हमें भारतीय होने पर नाज तभी करना चाहिए जब देश को हम अपने बहुमूल्य जीवन से कुछ दे सकें ! देश की धरती पर तो जन्म से ही यह जीवन समर्पित है यदि कर्म से समर्पित हो जाए तो माटी में मिलने से पहले यह माटी जो रंग लाएगा वो हर बार भारत की माती में जन्म पाने का सौभाग्य पायेगा !
व्यक्ति की हत्या हो सकती है विचारों की नहीं जो विचार जिवंत है जिनमे शहीदे आजम भगत सिंह सिरमौर है,जिन्होंने विचारों को कर्म का यायावर पथ बना दिया और चल पड़ी क्रांति उन्ही राहों पर जहाँ से स्वराज के पथ गढ़े जाते हैं !
भगत सिंह और उनके साथियों के नाम सदा सदा के लिए भारतीय जनता के जेहन में खुद चुके हैं !क्रांतिकारी नारे लगाकर ही संतुष्ट नहीं हुए बल्कि वह प्रतीक थे उस दुर्दमनीय साहस के,मौत से पंजे लड़ाने वाले हौसलों के ,बड़ी से बड़ी कुर्बानी दे सकने की क्षमता थी उनमे !
भगत सिंह और उनके साथियों का बलिदान क्रांति की शसक्त जागृति पैदा कर गई जो सदा रहेगी !लाहौर सेन्ट्रल जेल जहाँ २३ मार्च १९३१ को भगत सिंह ,सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई ,बदले वक़्त के साथ बदला पर भारत की हवाओं में बहते उनके बलिदान की गाथा क्षितिज तक गूंजती है !विडम्बना है कि देश के बटवारे के साथ ही शहीदों के बटवारे हो गए पर इनके बलिदानों पर ना तो कोई असर पड़ा है और ना ही पड़ेगा क्योंकि उनका बलिदान अमर है !बाते हुए भारत को जोड़ना तो अब दूर की बात है पर जो भारत बचा हुआ है उसे ही अखंड बना लिया जाये यही हमारी उन शहीदों को सच्ची श्रद्धांजली होगी ! अखंड भारत धर्म से संस्कृति से सभ्यता से संस्कार से फिर एक बार विश्वगुरु भारत !
अखंड भारत पत्रिका एक आह्व्हन है कलम की क्रांति का जो भारत के कण कण में रमे शहादत की गाथा को गायेगा ,भारत क्या था और क्या है जन जन को बतायेगा ,एक नई राह लाएगा शहीदों का भारत कैसा हो !आप मर जायेंगे पर आपके कर्मशील विचार अमर रहेंगे .फिर आइये एक बार आज के क्रांतिकारी बन एक वैचारिक क्रांति से अखंड भारत का पथ गढ़ने में अपना अमूल्य योगदान दिया जाए !

जय हो विजय हो अखंड भारत उदय हो .राष्ट्र पथ पर सदा कोटि कोटि वन्दे मातरम् ....अरविन्द योगी

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